गन्ना की फसल की पैदावार बढ़ने के साथ खेतों में मजदूरों की समस्या भी बनी हुई है। महाराष्ट्र सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है। गन्ना की समय पर कटाई और चीनी मिलों तक जल्दी पहुंचाने में अभी तक की परेशानियां से चीनी उद्योग जूझ रहा है।
मजदूरों की कमी का गन्ना कटाई के साथ साथ चीनी मिलों की पेराई पर भी गंभीर असर होता है। मजदूरों की कमी के कारण गन्ने की कटाई का मशीनीकरण तेजी से किया जा रहा है। हालांकि, प्रौद्योगिकीविदों के सामने छोटे हार्वेस्टर विकसित करने की चुनौती है।
महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने कहा कि, वर्तमान में राज्य में 950 हार्वेस्टर का वितरण किया जाएगा, और अब तक 800 आवेदन दाखिल किए जा चुके हैं।
चीनी आयुक्त गायकवाड ने कहा कि, आश्चर्य है कि हम गन्ना काटने के लिए लागत प्रभावी और सस्ती तकनीक क्यों नहीं ला पाए हैं जबकि चीनी उद्योग वर्षों से चल रहा है। चीनी उद्योग के मशीनीकरण में महाराष्ट्र देश में अग्रणी है। हालांकि, मिलों को अब गन्ने की खेती से लेकर कटाई और पेराई तक की अपनी तकनीक में बदलाव करना होगा। पेराई सीजन अब 112 दिन से ज्यादा नहीं चलेगा क्योंकि राज्य की ज्यादातर फैक्ट्रियों ने अपनी पेराई क्षमता बढ़ा दी है।
डेक्कन शुगर टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन (डीएसटीए) द्वारा पुणे एग्रीकल्चरल कॉलेज में ‘मैकेनाइज्ड गन्ना हार्वेस्टिंग में समस्याएं और समाधान’ पर आयोजित सम्मेलन का आयोजन किया गया था। सम्मेलन में डीएसटीए के अध्यक्ष शहाजीराव भद और तकनीकी उपाध्यक्ष एस. डी. बोखरा, ‘विस्मा’ के अध्यक्ष बी. बी. ठोंबरे, महाराष्ट्र स्टेट शुगर एसोसिएशन के प्रबंध निदेशक संजय खताळ , डॉ. सुनील मासाळकर, डॉ. योगेंद्र नेरकर उपस्थित थे।