सर्वोच्च न्यायालय में ऐसी कई याचिकाएं दाखिल हैं, जिनमें 100 से भी ज्यादा कीटनाशकों को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है। इन याचिकाओं में तर्क दिया है कि ऐसे कीटनाशक पश्चिमी देशों में बैन हैं, क्योंकि यह किसानों, श्रमिकों, और विशेष तौर पर बच्चों की सेहत को खराब कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत में इन कीटनाशकों को बिना रोकटोक के उपयोग किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि उसने देश में केवल तीन कीटनाशकों को ही बैन करने के लिए लिस्ट क्यों किया है। मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को एक हलफनामा दायर करने के लिए कहा है। इस हलफनामें में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बात की जानकारी देने के लिए कहा है कि, “किस आधार पर 27 में से केवल तीन कीटनाशकों पर ही कार्रवाई की गई है।” सरकारी वकील का तर्क था कि हर चीज का एक प्रोसेस है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील प्रशांत भूषण भी पेश हुए थे, उनका कहना था कि जनवरी 2018 तक कम से कम 27 कीटनाशकों को बैन किया जाना था। वहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी का आरोप है कि सर्वोच्च न्यायालय में इस तरह की याचिकाएं दायर की जा रही हैं जिनकी मंशा सही नहीं है और अदालत का इस्तेमाल इस उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे में कोर्ट ने कहा है कि यदि आपने अपना काम ठीक से किया होता तो हम सुनवाई नहीं कर रहे होते।