तीतर एक जंगली पक्षी है, जो ज्यादा दूरी तक नहीं उड़ सकता है. यही वजह है कि ये जमीन पर ही अपना घौंसला बनाता है। इसका मीट इतना स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है कि ये लोगों को अधिक पंसद आता है, इसलिए इसका अवैध शिकार भारत में इतना ज्यादा बढ़ गया था कि ये विलुप्त होने के कगार पर आ गया।
यही वजह है कि वन्य जीव संरक्षण कानून 1972 के तहत इसके शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, लेकिन इसके शिकार पर प्रतिबंध है। ऐसे में अगर आप भी तीतर पालन करना चाहते हैं, तो सरकार लाइसेंस लेकर इसको पालन का काम किया जा सकता है।
लोग स्वादिष्ट मांस के रूप में तीतर को बड़े ही शोख से पसंद करते है। इस दिशा में ढाई दशक के लंबे प्रयास के बाद तीतर के इस जाति का विकास मांस व अंडा उत्पादन के लिए किया गया है। तीतर पालन के लिए मुख्य रूप से फराओ, इग्लिस सफेद, कैरी उत्तम, कैरी उज्जवल, कैरी श्वेता, कैरी पर्ल व कैरी ब्राउन की जापानी नस्लें शामिल हैं। तीतर पालने के फायदे में शीघ्र बढ़वार, अधिक अंडे उत्पादन, में कम दिन सहित वृद्धि के कारण यह व्यवसाय का रूप बडी ही तेजी से आगे बढता जा रहा है।
इसके पालन में काफी कम खर्च आता है और अंडे और मांस बेहतर दाम पर आसानी से बिक जाते हैं| भारत की जलवायु इस पक्षी के पालन के लिए उपयुक्त भी मानी जाती है| तीतर के अंडे और मांस में विटामिन की मात्रा ज्यादा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है| इसे देखते हुए लोग मांस को बेहद पसंद करते हैं| इस पक्षी को कीट नियंत्रण के लिए भी उपयुक्त माना जाता है क्योंकि तीतर आसपास के कीट, कीड़ों और कृमियों को खा जाते हैं| मार्च से सितंबर महीने तक एक मादा तीतर 90 से 110 अंडे तक देती है|
तीतर के व्यावसायिक पालन के लिए उनके फीड यानी कि भोजन का खयाल रखना बहुत जरूरी होता है| इसी आधार पर मादा तीतर अंडे भी देती है| अंडा सेने की अवधि 28 दिन की होती है| एक तीतर 10-15 अंडे एक साथ से सकती है| स्वस्थ अंडे हों तो चूजे भी स्वस्थ और सेहतमंद होते हैं| यह काम कृत्रिम तरीके से भी होता है और इसके लिए इनक्यूबेटर का इस्तेमाल होता है| चूजे निकलने के बाद उनका पालन-पोषण बहुत एहतियात से करना होता है| चूजों को देखा जाता है कि भुखमरी के कारण सबसे ज्यादा मौत होती है| इससे बचने का उपाय यही है कि उनके दाना-पानी का पूरा ध्यान रखा जाए|
मादा तीतर 30 हफ्ते बाद अंडे देना शुरू कर देती है| पहली बार अंडा देने के 24 हफ्ते बाद उत्पादन शुरू हो जाता है| सही आहार देकर अंडे की उत्पादन क्षमता कुछ बढ़ाई जा सकती है| अंडा रंगीन होता है और इसका वजन करीब 85 ग्राम होता है| अंडे में प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट और मिनरल प्रचुर मात्रा में होते हैं. प्रति ग्राम जर्दी में 15-23 मिली ग्राम तक कोलेस्ट्रॉल पाया जाता है|
इन पक्षियों के छोटे आकार और कम वजन की वजह से भोजन और जगह की आवश्यकता भी कम होती है। इससे व्यवसाय में निवेश भी काफी कम होता है। आप 4-5 तीतर को पालकर भी इसका बिजनेस शुरू कर सकते हैं।