सूबे के आज़मगढ़ जिले में सरकार मौजूदा हवाई अड्डे को अन्तर्राष्ट्रीय बनाने की तैयारी में है| किसान अपनी खेती की ज़मीन किसी भी कीमत पर देने को तैयार नहीं| हैं| बीते 30 दिन से किसानों ने एकजुटता दिखायी है| कई गांव के लोग धरना दे रहे हैं| आंदोलनकारियों में महिलाओं की संख्या भी कम नहीं हैं|
इस धरने में बैठे किसानों को आस-पास के ही नहीं,दूर-दराज के गांवों के लोग भी समर्थन दे रहे हैं| भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत और सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर भी धरना दे रहे किसानों के साथ देने पहुंचे हैं|
आजमगढ़ में मंदुरी एयरपोर्ट के विस्तारीकरण का किसान जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। जिला मुख्यायलय से करीब 19 किमी दूर सगड़ी तहसील के जमुआ हरिरामपुर गांव में बीते 28 दिन से धरना-प्रदर्शन जारी है। इसमें बड़ी भागीदारी महिलाओं की है। किसानों का यह आंदोलन अब चर्चा में आ गया है। उनके आंदोलन को धार देने के लिए मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर पहुंचीं तो बुधवार को किसान नेता राकेश टिकैत। दोनों ने कहा कि सरकार पुलिस के दम पर जमीन का अधिग्रहण करना चाहती है।
सरकार ने अपने कदम वापस नहीं लिए तो आंदोलन की धार तेज होगी। जिला प्रशासन जमीन अधिग्रहण का मसौदा तैयार कर रहा है, पर किसानों की जमीन जबरदस्ती नहीं लेने दी जाएगी। यदि यहां पर एयरपोर्ट बनता है तो यहां के किसान कहां जाएंगे। कहा कि आजमगढ़ में एयरपोर्ट की जरूरत नहीं है बल्कि किसानों के लिए मंडियां स्थापित करने, शिक्षा और स्वास्थ्य केंद्र खोलने पर ध्यान देना चाहिए।
दरअसल, मंदुरी हवाई अड्डे को विस्तारित कर इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाने की कवायद सरकार की ओर से शुरू की गई है। इस योजना के तहत सात गांवों के किसानों से जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन सर्वे करने में जुटा हुआ था, हालांकि इस दौरान उसे ग्रामीणों के विरोध का भी सामना करना पड़ा। लेकिन प्रशासन ने सर्वे का कार्य पूरा कर लिया
इसी सर्वे को लेकर मंदुरी एयरपोर्ट के आसपास के गांवों में हंगामा मचा है।
अपनी जमीन छिन जाने की आशंका में वो खौफजदा हैं और उनकी रातों की नींद गायब है। किसानों ने कहा कि ये सरकार किसानों को बेघर करना चाह रही है लेकिन हम अपनी जमीन को देने वाले नहीं हैं। आरोप लगाया कि सरकार व अधिकारी बिना किसानों से पूछे और बिना पंचायत के ही किसानों की जमीन को अधिग्रहण करने जा रहे हैं।