छत्तीसगढ़ में 1 नंवबर से धान खरीदी की प्रकिया की शुरुआत की जाएगी| इस बार भूपेश बघेल सरकार एक करोड़ टन से ज्यादा धान खरीदी का लक्ष्य रखा है| राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने इसको लेकर तैयारियों का जायजा भी लिया| मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस बैठक में किसानों का पंजीयन धान का रकबा, गिरदावरी, कस्टम मिलिंग धान परिवहन वित्तीय व्यवस्था धान सहित खरीदी के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाओं की जानकारी ली|
धान खरीदी के लिए नए किसानो को पंजीयन 31 अक्टूबर तक होने की संभावनाएं हैं. हर हाल में 1 नवंबर से पहले सभी केंद्र में धान खरीदी व्यवस्था दुरुस्त करने का निर्देश दे दिया गया है| सभी समितियों में बारदाने की पर्याप्त व्यवस्था करने का आदेश जारी किया गया है. जिन समितियों में धान की आवक ज्यादा होगी वहां बारदाने की सप्लाई पर्याप्त मात्रा में की जाएगी|
मुख्य सचिव ने फसल चक्र में परिवर्तन करने वाले किसानों को चिन्हित करने और किसानों द्वारा बोये रकबे के सत्यापन के लिए गिरदावरी का काम 30 सितंबर तक पूरा करने को कहा है| मुख्य सचिव ने धान के परिवहन के लिए 15 अक्टूबर तक परिवहन कार्यकर्ताओं से अनुबंध की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है|
बीते तीन सालों में राज्य में धान उत्पादक कृषकों की संख्या और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है| जिसके चलते समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का रिकार्ड साल दर साल टूट रहा है|
इस साल 97.97 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का नया रिकार्ड बना है| वर्ष 2021 में 92 लाख मीट्रिक टन धान, वर्ष 2020 में 83.94 लाख मीट्रिक तथा 2019 में 80.37 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी|
इस साल खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान बेचने के लिए कुल 24,06,560 किसानों ने पंजीयन कराया था, जिनके द्वारा बोए गए धान का रकबा 30 लाख 10 हजार 880 हेक्टेयर है| जबकि गत वर्ष पंजीकृत धान का रकबा 27 लाख 92 हजार 827 हेक्टेयर था|
एक साल के आंकड़े की ही तुलना की जाए तो धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या में लगभग सवा लाख तथा पंजीकृत धान के रकबे में 2 लाख 18 हजार की वृद्धि हुई है|
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल का वाजिब मूल्य देने के साथ ही फसल उत्पादकता एवं फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना संचालित की जा रही है| इसके चलते राज्य ने खेती किसानी के प्रति किसानों में एक नया उत्साह पैदा हुआ है|
खेती से विमुख हो चुके लोग भी अब फिर से खेती की ओर लौटने लगे हैं| जिसके चलते राज्य में किसानों की संख्या, खेती के रकबे और फसल उत्पादकता मेें लगातार वृद्धि होते जा रही है| साल दर साल समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के आंकड़े इसके प्रमाण हैं|
राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के साथ किसानों को तत्परता से भुगतान तथा खरीदे गए धान के उठाव एवं कस्टम मिलिंग की व्यवस्था के चलते किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होने पाई| किसानों की सहूलियत के लिए धान खरीदी केन्द्रों की संख्या भी 2311 से बढ़ाकर 2484 कर दी गई थी|