देशभर में बंजर भूमि पर मोटे अनाजों की खेती की जाएगी। यह निर्णय भारत में मरूस्थलीकरण के बढ़ रहे आंकड़ों के बाद लिया गया है। इससे अभी तक कुल 29.76 प्रतिशत भूमि बंजर हो गई है।
इसका खुलासा नौणी विवि में आयोजित स्वस्थ जीवन के लिए मोटे अनाजों के महत्व पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान हुआ। कार्यशाला में प्रदेश के 10 जिलों के 200 से अधिक प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के साथ कृषि वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के शोधार्थी एवं विद्यार्थी विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस मौके पर मिलेट मैन ऑफ इंडिया के नाम से मशहूर खाद्य विशेषज्ञ डॉ. खादर वली ने कृषि वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं किसानों से कहा कि अगर हमें रोगमुक्त जीवन जीना है तो मोटे अनाजों को उगाना और उनका उपभोग करना जरूरी है। कहा कि मोटे अनाज हमारे भोजन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। इन पोषक अनाजों के लिए सिंचाई की जरूरत भी कम रहती है। गेहूं और चावल के उत्पादन के लिए जितना पानी साल भर में इस्तेमाल किया जाता है उतने पानी में 25 से 30 तक मोटे अनाज उगाए जा सकते हैं।
पानी के लगातार दोहन से भूजल कम हो रहा है और बंजर भूमि का दायरा बढ़ता जा रहा है। मोटे अनाज लगाने से बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है। साथ ही इनके सेवन से कैंसर, बीपी, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से बचा जा सकता है।
कृषि सचिव राकेश कंवर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से वर्ष 2023 को मोटे अनाजों का वर्ष घोषित किया गया है। विश्व के सभी देश इस दिशा में कदम उठा रहे हैं और भारत में भी पुराने पोषक अनाजों के संरक्षण का कार्य चल रहा है।