भारत वर्तमान में श्रीलंका, चीन, इंडोनेशिया, वियतनाम और नेपाल से दालचीनी का सालाना आयात करता है| इस 45,318 टन आयात में से 37,166 टन सिनामोमम कैसिया (विभिन्न देशों में प्रतिबंधित प्रजातियां) भारत द्वारा चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया से आयात किया जाता है|
केरल में 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में सिनामोमम वेरम की खेती की जा रही थी, लेकिन यह एक असंगठित क्षेत्र था|
दालचीनी की संगठित खेती को सफल होने पर, व्यावसायिक स्तर पर शुरू किया जाएगा, जिससे भारत के दालचीनी के 909 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के आयात में और कमी आएगी|
हिमाचल प्रदेश के मैदानी जिलों में सेब फसल की तर्ज़ पर दालचीनी फसल की खेती की जाएगी। हिमाचल प्रदेश के ऊना, बिलासपुर, कांगड़ा, हमीरपुर व सिरमौर जिला में 40 हज़ार प्रति वर्ष दालचीनी के पौधे लगाए जाएंगे, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होगी। यह बात कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर ने ग्राम पंचायत बरनोह में दालचीनी के पौधे रोपित कर दालचीनी खेती का शुभारंभ करने के दौरान कही। उन्होंने बताया ग्राम पंचायत बरनोह में डेढ़ कनाल भूमि पर 50 दालचीनी के पौधे रोपित किए गए हैं।
दालचीनी को संगठित फसल के तौर पर उगाने वाला हिमाचल पहला राज्य बन गया है।राज्य में दालचीनी मसाले उगाने की पायलट परियोजना हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर तथा कृषि विभाग की संयुक्त तत्वाधान में चलाई जा रही है। इस परियोजना को हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर द्वारा भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान केरल के संयुक्त तत्वाधान में कार्यान्वित किया जा रहा है।