इसी साल जनवरी में जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और एग्री स्टार्टअप फार्म्स के बीच एक अनुबंध किया गया है। बेंगलुरू स्थित ये एग्री स्टार्टअप पंतनगर विश्वविद्यालय से विकसित उन्नत बीज, तकनीकी और वैज्ञानिक टूल्स के साथ-साथ उत्तराखंड के किसानों और कृषि उद्यमियों के कृषि उत्पादों का विपणन करेगा।
उत्तराखंड में ज़्यादातर किसानों के पास कम ज़मीन है, ऐसे में वो बड़े पैमाने पर भंडारण या विपणन नहीं कर पाते। इन किसानों के कृषि उत्पाद जैसे सब्जियां, फल, मशरूम ज़ल्दी बाज़ार तक नहीं पहुंच पाते ऐसे में पंतनगर विश्वविद्यालय की ये पहल उत्तराखंड के किसानों की मुश्किलों को घटाने और उनकी आय बढ़ाने के काम आएगी। इसके साथ ही यहां के किसानों और लघु उद्यमियों के निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, मसाले, शहद, बिस्कुट, कुकीज़ जैसे उत्पादों को भी बाज़ार मिल सकेगा।
हरित क्रांति के अग्रदूत माने जाने वाले गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में 24 मार्च से 27 मार्च तक आयोजित किया गया | इस बार 111वें अखिल भारतीय किसान मेला और एग्रो-इंडस्ट्रियल प्रदर्शनी महत्वपूर्ण रहा । ये मेला पंतनगर किसान मेला के नाम से देशभर में विख्यात है।
पंतनगर कृषि मेले के दूसरे दिन 25 मार्च को दोपहर 2 बजे शैक्षणिक डेयरी फ़ार्म नगला की ओर से संकर बछियों की नीलामी की जाएगी। पशुपालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में पशुपालन और मत्स्य पालन यानी मछली पालन का बड़ा योगदान है। साल 2020 के आंकड़े के मुताबिक देश की औसत दूध खपत 81 मिलियन मीट्रिक टन है। इसका आधा भैंस के दूध से आता है, लेकिन गुणवत्ता में गाय का दूध बेहतर होता है। हाल के वर्षों में देसी गायों की संकर प्रजातियों को लेकर काफ़ी अनुसंधान किया गया है, ताकि ज़्यादा दुधारू प्रजातियां पशुपालकों को मिला
पशु चारे की महंगाई और कम दूध देने या दूध नहीं देने वाली गायों को लोग खुले में छोड़ दिया करते हैं। ऐसे में गोविंद बल्लभ पंत में आयोजित हो रहे कृषि मेले में पशुपालन से जुड़ी जानकारियां दूर-दूर से आने वाले पशुपालकों के लिए फ़ायदेमंद रहीं। 26 मार्च को पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान महाविद्यालय की ओर से पशु प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से आयोजित की गई। इसमें गाय और भैंस की प्रदर्शनी के अलावा पशु प्रतियोगिता का भी सत्र रखा गया। पशुपालकों को इस प्रदर्शनी में अलग-अलग नस्लों की गाय और भैंस के बारे में जानकारी दी गई।
पंतनगर कृषि मेले में मत्स्य उत्पादन प्रदर्शनी और प्रतियोगिता 25 मार्च को भारत में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लागू की गई है। 2020 में अमल में आई इस योजना के तहत साल 2025 तक 70 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त मछली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। जिस तरह किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने रखा है, उसी तरह मछली किसानों और मछुआरों की आय भी दोगुनी करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। जलकृषि उत्पादकता को मौज़ूदा राष्ट्रीय औसत में 3 टन से 5 टन प्रति हेक्टेयर बढ़ाने के साथ-साथ मौज़ूदा निर्यात 46, 589 करोड़ रुपये (साल 2020) को 2025 तक 1 लाख करोड़ किया जाना है।
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी इस दिशा में लगातार काम कर रहा है। विश्वविद्यालय में मत्स्य विज्ञान महाविद्यालय है, जहां स्नातक, स्नातकोत्तर, परास्नातक की पढ़ाई होती है। इसके पाठ्यक्रम में मत्स्य उत्पादन में वृद्धि, मत्स्य उत्पादन विविधिकरण, मत्स्य उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार, मछली की विभिन्न प्रजातियों का विकास शामिल है।
पंतनगर विश्वविद्यालय मत्स्य उत्पादकों को उन्नत मत्स्य बीज तकनीकी की जानकारी देने और मत्स्य पालन से जुड़ी समस्याओं का निदान बताने के लिए काम करता रहा है। ऐसे में 24 मार्च से 27 मार्च तक संपन्न अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी में मत्स्य पालकों और मछली पालन से जुड़े लोगों को उनके काम की ज़रूरी जानकारियां मिली। 25 मार्च को दोपहर 3 बजे से मत्स्य उत्पादन प्रदर्शनी लगाई गई।
पंतनगर किसान मेले में उन्नतशील बीज और पौधों की प्रदर्शनी और बिक्री उन्नतशील बीजों और पौधों की बिक्री 24 मार्च से लेकर 27 मार्च तक किसान मेला मे की गई। गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय अलग-अलग फसलों की 276 किस्मों को विकसित कर चुका है|
मेले में किसानों को विश्वविद्यालय की तरफ से तैयार किए जाने वाले बीज बेहद पंसद आये| जिसके तहत किसानों ने मेले के तीसरे व अंतिम दिन तक विश्वविद्यालय से 11 लाख से अधिक के बीज खरीदे |