हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों और महाविद्यालयों में अब औषधीय पौधों की खुशबू महकेगी। वातावरण भी सुगंधित होगा। इसके लिए आयुष विभाग ने 200 सरकारी स्कूलों और 50 महाविद्यालयों में जल्द ही ‘आयुष गार्डन’ स्थापित करने की योजना तैयार की है।
जलवायु के आधार पर करीब 30 प्रजातियों के औषधीय पौधे इन आयुष गार्डन में लगाए जाएंगे। करीब एक लाख औषधीय पौधे सरकारी स्कूलों और महाविद्यालयों में रोपे जाएंगे। आयुष विभाग के सचिव राजीव शर्मा की ओर से जारी अधिसूचना के तहत मंडी जिला के जोगिंद्रनगर स्थित आयुर्वेद वनस्पति संग्रहालय के प्रभारी उज्ज्वल शर्मा से भी सरकारी स्कूलों और महाविद्यालयों में विकसित होने वाले आयुष गार्डन की जानकारी मांगी गई है।
यहां पर करीब दस शैक्षणिक संस्थानों के आवेदन आयुष गार्डन विकसित करने के पहुंचे हैं। शैक्षणिक संस्थानों में पांच सौ स्क्वेयर फीट की भूमि औषधीय पौधों के लिए होना जरूरी है। आयुष विभाग औषधीय पौधों के लगाने की विधि और उनके संरक्षण पर प्रशिक्षण देगा।
इसके बाद ही आयुष गार्डन स्थापित करने की मंजूरी मिलेगी। जोगिंद्रनगर अनुसंधान संस्थान व आयुर्वेद वनस्पति संग्रहालय के प्रभारी ने बताया कि आयुष विभाग के आदेशों के अनुरूप नर्सरी में औषधीय पौधों को तैयार किया गया है। अश्वगंधा, लेमनग्रास, अर्जुन, सर्पगंधा, जामुन के अलावा हरड़, बहेड़ा के अलावा अन्य पौधे रोपे जाएंगे।
सरकारी स्कूलों व महाविद्यालयों में आयुष गार्डन स्थापित करने के लिए आयुष विभाग की नर्सरी में लाखों औषधीय पौधे तैयार हो चुके हैं। शिमला के रोहडू, सारीबासा, हमीरपूर के नेरी, बिलासपूर के जंगल, जलोड़ा हर्बल गार्डन में औषधीय पौधों की नर्सरी तैयार की गई है। वहीं आयुष विभाग के निजी क्षेत्र में विकसित की गई नर्सरी में शामिल जिला कांगड़ा के रक्कड़, करसोग के सूरल में भी औषधीय पौधों को तैयार कर रखा है।
शैक्षणिक संस्थानों में आयुष गार्डन स्थापित करने का शुभारंभ राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आयुष विभाग के शिमला स्थित निदेशालय में करेंगे। आयुष विभाग के सचिव राजीव शर्मा ने बताया कि योजना का प्रारूप तैयार होते ही शैक्षणिक संस्थानों में आयुष गार्डन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होगी।