एक बार फिर से जिले ने सबसे अच्छी गन्ना उत्पादकता हासिल की है। उतर प्रदेश गन्ना आयुक्त के कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, शामली ने इस वर्ष औसतन 1,014.1 क्विंटल प्रति हेक्टेयर फसल उत्पादन दर्ज किया , जबकि मुजफ्फरनगर दूसरे और मेरठ तीसरे स्थान पर रहा।
किसान फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए तकनीक की मदद से गन्ने के उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत जागरूक हैं। गन्ना एक ऐसी फसल है जिसका जोखिम कवर अधिक है और किसानों को एक निश्चित मूल्य भी मिलता है। इससे किसान भुगतान में देरी के बाद भी गन्ने की खेती को प्राथमिकता देते हैं।
जिला गन्ना अधिकारी विजय बहादुर सिंह के अनुसार उत्पादकता में 1 हेक्टेयर भूमि पर उगाए गए गन्ने की मात्रा शामिल है। 2021-22 में जिले में गन्ना क्षेत्र 77,247 हेक्टेयर था, जबकि 2022-23 में यह बढ़कर 79,801 हेक्टेयर हो गया। गन्ना उत्पादकता में शामली ने उत्तर प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया है और यह सब किसानों की मेहनत का नतीजा है।
हालांकि, जब किसानों को गन्ना भुगतान की बात आती है, तो शामली की तीन चीनी मिलों ने 1,151.6 करोड़ रुपये के बकाया के मुकाबले सिर्फ 428.3 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पिछले पेराई सत्र 2021-22 तक 723.26 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित था।
सूबे में मुजफ्फरनगर जिले के गन्ना किसानों ने गन्ना उत्पादन में जिले को प्रदेश में जिला दूसरे स्थान पर पहुंच गया। बीते तीन वर्षों से जिला औसत उत्पादन में लगातार बढ़ रहा है। चौथे नंबर से इस बार जिला दूसरे स्थान पर पहुंच गया है।
जिले में ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करके किसान सहफसली खेती भी कर रहे हैं और गन्ने का उत्पादन भी बढ़ा रहे हैं। खेती की नई-नई तकनीकों के माध्यम से किसानों ने यहां उत्पादन को बढ़ाया है। गन्ना उत्पादकता में तीन वर्ष पहले हम प्रदेश में चौथे स्थान पर थे। शामली जिला औसत उत्पादन में ऊपर है, बाकी के सभी जिले मुजफ्फरनगर से पीछे हैं। गन्ने की प्रजाति 0238 के आने के बाद पूरे प्रदेश में ही गन्ने की उपज का औसत उत्पादन बढ़ा है। जिले के किसानों ने अच्छी पैदावार करते हुए इसमें भी प्रदेश में दूसरे पायदान पर पहुंचकर अपनी मेहनत का परिचय दिया है।