अब मक्का में ही दूध के बराबर पोषण मिल सकेगा। यह कमाल कर दिखाया है विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा। संस्थान ने| संस्थान ने मक्का की तीन नई प्रजातियां विकसित की हैं। विकसित नई प्रजातियों से दूध के बराबर पोषण मिलेगा। इन प्रजातियों में अमीनो अम्ल की मात्रा पारंपरिक मक्का की फसलों से कहीं ज्यादा है।
विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में विकसित मक्का की तीन क्यूपीएम प्रजातियों को जनता को समर्पित कर दिया है। मक्का की एक प्रजाति वीएलक्यूपीएम हाइब्रिड 45 को केंद्रीय प्रजाति विमोचन समिति ने और दो प्रजाति वीएलक्यूपीएम हाइब्रिड 61, वीएलक्यूपीएम हाइब्रिड 63 को राज्य बीज विमोचन समिति ने विमोचित किया है।
मिली जानकारी के मुताबिक
वीएलक्यूपीएम हाइब्रिड 45 प्रजाति उत्तराखंड के साथ हिमाचल, जम्मू कश्मीर व उत्तरपूर्वी राज्यों में भी आसानी से उगाई जा सकेगी। बाजार में इसके बीज भी उपलब्ध हो गए है। मक्कों की इन नई प्रजातियों में सामान्य मक्के की तुलना में ट्रिप्टोफान, लाइसीन नामक अमीनो अम्ल की मात्रा कहीं अधिक होती है। जो शरीर को भरपूर पोषण देता है।
वीएलक्यूपीएमहाइब्रिड 61 एक अगेती प्रजाति है। जो 85 से 90 दिन में परिपक्व हो जाती है। इसका औसत उत्पादन 4,435 किग्रा प्रति हेक्टेयर है। मेंट्रिप्टोफॉन, लाइसीन व प्रोटीन की मात्रा क्रमश 0.76, 3.30 व 9.16 प्रतिशत है। टर्सिकम व मेडिसपर्ण झुलसा के लिये मध्यम प्रतिरोधक है।
वीएलक्यूपीएम हाइब्रिड 63 प्रजाति 90-95 दिनों में पक्क कर तैयार हो जाती है। इसका औसत उत्पादन 4,675 किग्रा प्रति हेक्टेयर है। इसमें अमीनो अम्ल मेंट्रिप्टोफॉन, लाइसीन व प्रोटीन की मात्रा क्रमश 0.72, 3.20 व 9.22 प्रतिशत है।
भारत में सबसे ज्यादा मक्का उत्पादन करने वाला राज्य कर्नाटक है। यदि क्षेत्रफल की बात किया जाए तो सबसे ज्यादा क्षेत्रफल में राजस्थान मक्का की खेती करता है।
उत्पादन में कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र,बिहार, तमिल नाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों का नाम आता है।
यदि हम विश्व की बात करें तो विश्व में सबसे ज्यादा मक्का का उत्पादन संयुक्त राज्य अमेरिका विश्व का 35% मक्का का उत्पादन करता है|
संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद चीन, ब्राजील, मेक्सिको, अर्जेंटीना और भारत का नाम मक्का उत्पादन में आता है।