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भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र बुंदेलखंड की फसलों पर करेगा शोध

कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई (महाराष्ट्र) मिलकर बुंदेलखंड में दलहन-तिलहन, गेहूं, जौ और मोटे अनाज पर शोध करेंगे। अधिक उपज देने वाली प्रजातियां विकसित की जाएंगी। इस सिलसिले में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम ने विश्वविद्यालय में भ्रमण कर शोध प्रक्षेत्रों का जायजा लिया।

बुंदेलखंड में ज्यादातर किसान दलहन और तिलहन फसलों पर ही आधारित हैं। यहां की जलवायु इन दोनों फसलों सहित गेहूं और मोटे अनाज के लिए मुफीद है। देश की विभिन्न शोध संस्थाएं फसल प्रजाति परीक्षण के लिए विभिन्न क्षेत्रों का चुनाव करते हैं। दलहन, तिलहन, मोटे अनाज, गेहूं आदि के परीक्षण और मूल्यांकन के लिए बुंदेलखंड में मुख्य रूप से बांदा कृषि विश्वविद्यालय का चयन होता है। इसी क्रम में इस वर्ष भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में सरसों और गेहूं की विकसित की जाने वाली कई प्रजातियों के परीक्षण के लिए बांदा कृषि विश्वविद्यालय को चुना है। इन दोनों फसलों के उत्पादन, रोग व्याधि, पानी की मांग आदि विशेषताओं को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक परीक्षण करके परख रहे हैं।

विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और बांदा कृषि विश्वविद्यालय भविष्य में शोध कार्य करेंगे। इसी क्रम में अनुसंधान केंद्र की टीम मंगलवार को यहां पहुंची। शोध प्रक्षेत्रों का जायजा लिया।

टीम के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डा. संजय जम्मूलकर ने बताया कि यहां सरसों की प्रजातियों का प्रदर्शन काफी अच्छा है। टीम में शामिल वैज्ञानिक डा. सुमन बख्शी व अर्चना राय ने मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारियां और आंकड़े जुटाए।

कुलपति ने बताया कि दलहन, तिलहन और जौ, गेहूं आदि फसलों में अधिक उपज देने वाली प्रजाति विकसित करने के लिए वैज्ञानिक टीमें काम कर रही हैं। शोध मूल्यांकन के दौरान वैज्ञानिकों की टीम के साथ कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता प्रो.जीएस पवार, प्रो.कमालुद्दीन, डा.विजय शर्मा व डा.सीएन सिंह उपस्थित रहे।

परमाणु अनुसंधान केंद्र से प्राप्त जनन द्रव्य प्रजाति बुंदेलखंड की जलवायु के लिए काफी अच्छी है। इससे सरसों की बेहतर पैदावार होगी। आमतौर पर बुंदेलखंड में सितंबर से अक्तूबर के बीच सरसों बोई जाती है। लेकिन अगेती फसल से अधिक उपज ली जा सकेगी। उन्होंने बताया कि जनन द्रव्य परीक्षण के बाद किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

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