राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन की प्रबंध संचालक सुषमा अरोड़ा ने राज्यभर के जिला दुग्ध संघों के प्रबन्ध संचालकों को निर्देश दिए हैं कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक सम्बल योजना का लाभ सीधा दुग्ध उत्पादकों के खातों में भेजा जाए।
राज्य के 23 जिला दुग्ध संघों में यह सुविधा लागू की जा चुकी है और शेष 15 दुग्ध संघों में इसे तुरंत लागू किया जाएगा। उन्होंने दुग्ध संघों में दुग्ध उत्पादन और विपणन में महिलाओं की सहभागिता बढ़ाने के निर्देश भी दिए जिससे महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके।
सरस संकुल मुख्यालय में राजस्थान कॉपरेटिव डेयरी फेडरेशन की राज्य स्तरीय प्रोग्रामिंग कमेटी की बैठक को संबोधित कर रही थीं।
इस दौरान फैडरेशन के वरिष्ठ अधिकारियों, जिला दुग्ध संघों के प्रबंध संचालकों और पशु आहार संयत्रों के प्रबंधकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरस की गुणवत्ता ही उसकी पहचान है और उससे कोई समझौता नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर ही यह सुनिश्चित किया जाए कि दूध में किसी प्रकार की मिलावट ना हो। समितियों को सबसे अच्छी क्वालिटी का पशु- आहार उपलब्ध करवाया जाए।
बैठक में सरस ब्रांड की आक्रामक मार्केटिंग किए जाने का निर्णय लिया गया। अधिक से अधिक युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सभी शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में सरस पार्लर और शॉप एजेंसीज के लिए नए सिरे से आवेदन आमंत्रित करने का निर्णय भी बैठक में लिया गया।
जानकारी दी गई कि देश में गायों और भैंसों में कुल दुधारू पशुओं की संख्या 125.34 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 6.0 प्रतिशत अधिक है।
देश में भेड़ की कुल संख्या वर्ष 2019 में 74.26 मिलियन है जो पिछली गणना की तुलना में 14.1 प्रतिशत ज्यादा है।