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गांव में मिट्टी की जांच के लिए प्रयोगशाला बनाने पर मिलेगी 3.75 लाख की मदद

सरकार की स्वायल हेल्थ कार्ड बनाने की योजना बड़े काम की है| गांव स्तर पर मिनी स्वायल टेस्टिंग लैब स्थापित करके कमाई की जा सकती है| इससे ग्रामीण युवाओं को रोजगार मिल सकता है| लैब बनाने के लिए 5 लाख रुपए का खर्च आता है, जिसका 75 फीसदी मतलब 3.75 लाख रुपए सरकार देती है| अभी देश में किसान परिवारों की संख्या के मुकाबले लैब बहुत कम हैं| इसलिए इसमें रोजगार का बड़ा स्कोप है|

केंद्रीय कृषि मंत्रालय की इस स्कीम में 18 से 40 वर्ष तक की उम्र वाले ग्रामीण युवा पात्र हैं| वही आवेदन कर सकता है जो एग्री क्लिनिक, कृषि उद्यमी प्रशिक्षण के साथ द्वितीय श्रेणी से विज्ञान विषय के साथ मैट्रिक पास हो|

योजना के तहत मिट्टी की स्थिति का आकलन नियमित रूप से राज्य सरकारों द्वारा हर 2 साल में किया जाता है, ताकि खेत में पोषक तत्वों की कमी की पहचान के साथ ही उसमें सुधार किया जा सके| मिट्टी नमूना लेने, जांच करने एवं सॉइल हेल्थ कार्ड उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा 300 प्रति नमूना प्रदान किया जा रहा है| मिट्टी की जांच न होने की वजह से किसानों को यह पता नहीं होता कि कौन सी खाद कितनी मात्रा में डालनी है. इससे खाद ज्यादा लगती है और पानी भी |

लैब बनाने के इच्छुक युवा, किसान या अन्य संगठन जिले के कृषि उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक या उनके कार्यालय में प्रस्ताव दे सकते हैं| वेबसाइट soilhealth.dac.gov.in पर इसके लिए संपर्क कर सकते हैं| किसान कॉल सेंटर (1800-180-1551) पर भी संपर्क कर अधिक जानकारी ली जा सकती है|

सरकार जो पैसे देगी उसमें से 2.5 लाख रुपये जांच मशीन, रसायन व प्रयोगशाला चलाने के लिए अन्य जरूरी चीजें खरीदने पर खर्च होगी. कंप्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, जीपीएस की खरीद पर एक लाख रुपये खर्च होंगे|

देश में इस समय छोटी-बड़ी 7949 लैब हैं, जो किसानों और खेती के हिसाब से नाकाफी कही जा सकती हैं| सरकार ने 10,845 प्रयोगशालाएं मंजूर की हैं| राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद कहते हैं कि देश भर में 14.5 करोड़ किसान परिवार हैं| ऐसे में इतनी कम प्रयोगशालाओं से काम नहीं चलेगा| भारत में करीब 6.5 लाख गांव हैं| ऐसे में वर्तमान संख्या को देखा जाए तो 82 गांवों पर एक लैब है| इसलिए इस समय कम से कम 2 लाख प्रयोगशालाओं की जरूरत है| कम प्रयोगशाला होने की वजह है जांच ठीक तरीके से नहीं हो पाती|

सरकार की कोशिश है कि जैसे लोग अपनी सेहत का टेस्ट करवाते हैं वैसे ही धरती की भी कराएं| इससे धरती की उर्वरा शक्ति खराब नहीं होगी| स्वायल टेस्टिंग लैब दो तरीके से शुरू हो सकती है| पहले तरीके में लैब एक दुकान किराये पर लेकर खोली जा सकती है| इसके अलावा दूसरी प्रयोगशाला ऐसी होती है जिसे इधर-उधर ले जाया जा सकता है. इसे मोबाइल स्वायल टेस्टिंग लैब कहते हैं|

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