केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा – जलवायु परिवर्तन से हम सब और सारी दुनिया चिंतित है| इसका असर कृषि पर ज्यादा पड़ने वाला है| इस क्षेत्र के लिए यह बड़ी चुनौती है| जिसके समाधान की दिशा में वैज्ञानिक अनुसंधान और विशेषज्ञ चिंतन-मनन कर रहे हैं|
नीति आयोग और खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा प्रकाशित पुस्तक (भारतीय कृषि- 2030 की ओर) का विमोचन किया| इस पुस्तक में किसानों की आय पोषण सुरक्षा और सतत खाद्य एवं कृषि प्रणालियों को बढ़ाने के मार्ग पर फोकस किया गया है|
इस अवसर पर तोमर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और मौसम की बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूरदर्शिता से कृषि क्षेत्र के विकास की अनेक योजनाएं लागू की हैं| जलवायु परिवर्तन से हम सब और सारी दुनिया चिंतित है| इसका असर कृषि पर ज्यादा पड़ने वाला है| इस क्षेत्र के लिए यह बड़ी चुनौती है| जिसके समाधान की दिशा में वैज्ञानिक अनुसंधान और विशेषज्ञ चिंतन-मनन कर रहे हैं|
कृषि की प्रकृति पर निर्भरता को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के रूप में सुरक्षा कवच प्रदान किया है| इस योजना में अभी तक बीमित किसानों ने लगभग 21 हजार करोड़ रुपये प्रीमियम जमा कराई, जबकि क्लेम के रूप में उन्हें लगभग 1.15 लाख करोड़ रुपए की राशि दी जा चुकी है| प्रधानमंत्री द्वारा 10 हजार नए एफपीओ बनाने की योजना प्रारंभ की गई है, जिस पर केंद्र सरकार 6,865 करोड़ रुपये खर्च करेगी|
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों ने अथक मेहनत कर दलहन उत्पादन बढ़ाने में काफी योगदान दिया है, जिससे देश ने दलहन उत्पादन में काफी छलांग लगाई है| इसी प्रकार, खाद्य तेल का आयात घटाने के उद्देश्य से 11 हजार करोड़ रुपये का राष्ट्रीय मिशन लागू किया गया है, जिसके पूरा होने पर आयात घटाने में काफी हद तक सफलता मिल जाएगी|
इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सहित डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत दिए गए हैं, जिनसे कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने में, समस्याओं के निराकरण में मदद मिलेगी|
श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में अब परंपरागत तरीकों से आगे बढ़ने की आवश्यकता है| किसानों को नई टेक्नोलॉजी अपनाना होगी, महंगी फसलों की ओर आकर्षित होना पड़ेगा| उन्होंने कहा कि कृषि में उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत है, साथ ही समुचित प्रबंधन, मार्केट लिंकेज व इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने की आवश्यकता है|
भारत के लिए कृषि की बहुत महत्ता है, हमारे कृषि क्षेत्र ने सदैव अपनी प्रासंगिकता सिद्ध की है| कोरोना के संकट में भी कृषि ने लगातार 2 साल तक 3 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज करते हुए सकारात्मक प्रदर्शन किया है|
नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने कहा कि कृषि विश्व स्तर पर और भारत में भी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है| जो अवसर मौजूद हैं, उन्हें लेकर अगले दशक के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टि की आवश्यकता है| इस आवश्यकता को महसूस करते हुए, इस परिवर्तन के माध्यम से सोचने के लिए एक राष्ट्रीय संवाद शुरू किया गया है|
जिन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, उनकी पहचान की गई है| कृषि में जलवायु जोखिमों का प्रबंधन, भारत में जल और कृषि परिवर्तन का सहजीवन एवं कीट, महामारी, तैयारी और जैव सुरक्षा जैसे विषयों पर इस किताब में बात की गई है|