हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए एक अक्टूबर को एक ही चरण में मतदान कराने का ऐलान किया गया है। अब भारतीय जनता पार्टी ने इस तारीख को बदलने का आग्रह किया है। कहा जा रहा है कि छुट्टी के मद्देनजर मतदान कम होगा, लिहाजा मतदान एक हफ्ते बाद कराया जाये। इस मुद्दे पर चुनाव आयोग चुप्पी साधे हुए हैं। जानकारों का कहना है कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की हालत कमजोर है। प्रदेश चुनाव समिति ने तीनों केंद्रीय मंत्रियों मनोहर लाल, कृष्णपाल गुर्जर और राव इंद्रजीत के साथ सभी सांसदों, राज्यसभा सदस्यों तथा पूर्व सांसदों के भी विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है। केंद्रीय मंत्रियों, राज्यसभा सदस्यों, सांसदों और पूर्व सांसदों के लिए हालांकि अभी सीटें तय नहीं की गई हैं, लेकिन हाईकमान यदि उनके चुनाव लड़ने को मंजूरी प्रदान करता है तो वे अपनी-अपनी सीटों का फैसला स्वयं कर सकते हैं।
कुरुक्षेत्र से सांसद नवीन जिंदल और भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद धर्मबीर सिंह को भी सेफ सीट ढूंढने के लिए कह दिया गया है। प्रदेश चुनाव समिति की ओर से इन सभी नेताओं के नामों की सिफारिश भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को भेज दी गई है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में शामिल अधिकतर मौजूदा मंत्री भी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। केंद्रीय चुनाव समिति की 27 अगस्त को बैठक होगी।
मिली जानकारी अनुसार अंबाला लोकसभा सीट से चुनाव हारी बंतो कटारिया ने विधानसभा चुनाव लड़ने से इन्कार किया है। पूर्व मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा, ओमप्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु, राव नरबीर, विपुल गोयल, कृष्ण कुमार बेदी, कविता जैन और मनीष ग्रोवर के भी विधानसभा चुनाव लड़ने की सिफारिश की गई है।
जानकारों के अनुसार अगर भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने हरी झंडी दी तो हरियाणा के अधिकतर भाजपा दिग्गज विधानसभा के चुनाव में ताल ठोंकते नजर आएंगे। प्रदेश चुनाव समिति की दो दिन चली बैठक में यह आम सहमति बनी कि राज्य में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने तथा कांग्रेस को सत्ता में आने से रोकने के लिए पार्टी के प्रमुख नेताओं का विधानसभा चुनाव लड़ना जरूरी है।