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गोवा में बीजेपी बिना पर्रिकर क्या फिर होगा चमत्कार?

पणजी | गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के नेतृत्व में बीजेपी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है| सरकारी नौकरी छोड़कर सियासत में आए प्रमोद सावंत बीजेपी के युवा नेता हैं और तीन साल के मुख्यमंत्री की पारी में कई बड़े कदम उठाए हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि बिना मनोहर पर्रिकर क्या फिर होगा में सियासी चमत्कार दिखा पाएंगे|

बीजेपी के युवा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मनहोर पर्रिकर के राजनीतिक उत्तराधिकारी के तौर पर गोवा की सत्ता की कमान संभाल रहे प्रमोद सावंत के अगुवाई में बीजेपी राज्य के विधानसभा चुनाव मैदान में उतरी है| प्रमोद सावंत आरएसएस की आंगन में पले बढ़े हैं और संघ की पृष्ठभूमि वाले एकलौते विधायक हैं| गोवा की सियासत में बीजेपी की सत्ता में वापसी का जिम्मा प्रमोद सांवत के ऊपर है|गोवा के 13वें मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के बारे में कहा जाता है कि वे गोवा में बीजेपी के अकेले विधायक हैं, जो आरएसएस काडर से हैं| गोवा के सीएम बनने से पहले वह पार्टी के प्रवक्ता और गोवा विधानसभा के अध्यक्ष रहे है| 2017 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार बनी, तब उन्हें विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था. सावंत को मनोहर पर्रिकर का बेहद करीबी माना जाता है. यही वजह है कि पर्रिकर के निधन के बाद सीएम का ताज प्रमोद सावंत के सिर सजा|

प्रमोद सावंत का जन्म 24 अप्रैल 1973 को हुआ था. सावंत गोवा के बिचोलिम क्षेत्र कोटोंबी गांव के रहने वाले हैं. सांकेलिम विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में फिर से किस्मत आजमा रहे हैं | महाराष्ट्र के कोप्रमोद सावंत ने अपनी सियासी पारी का आगाज 2008 में भाजपा नेतृत्व के आग्रह के बाद किया| सांकेलिम (अब साखली) सीट खाली हुई थी जिससे उनको चुनाव लड़ने को कहा गया था|

प्रमोद सावंत उस वक्त मापुसा स्थित उत्तरी जिला अस्पताल में आयुर्वेद के डॉक्टर के तौर पर कार्यरत थे| इसके बाद उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी और भाजपा प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव लड़ा,. हालांकि उस उपचुनाव में वह हार गए थे |

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से निर्वाचित होकर गोवा विधानसभा पहुंचे | मनोहर पर्रिकर के नेतृत्व वाली सरकार में उनको विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया | गोवा के राजनीतिक इतिहास में वह सबसे कम उम्र के विधानसभा अध्यक्ष थे| वह भारतीय युवा जनता मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष और भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैं|

मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा के मुख्यमंत्री का पद रिक्त हो गया| इस बार चुनाव में प्रमोद सावंत की असल परीक्षा होनी है और वे अपने विकास कार्यों के लेकर चुनावी मैदान में है|

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