उत्तर भारत और पहाड़ी राज्यों में रही बर्फबारी और लगातार चल रही शीतलहर से ठंड काफी बढ़ गई है, जिसका असर फसलों पर भी देखने को मिल रहा है। किसानों का कहना है कि पाले की वजह से सरसों, आलू और पालक की फसल बर्बाद हो सकती है। हालांकि गेहूं की फसल को पाले से कोई नुकसान नहीं होगा। पाला पड़ने की संभावनाओं को देखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसलों पर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है।
पाला पड़ने से सरसों और आलू की फसलों को काफी नुकसान होता है। इसमें रबी की सबसे प्रमुख फसल गेहूं के अलावा तिलहन फसलों को सबसे अधिक 80 से 90 फीसदी तक नुकसान हो सकता है। साथ ही आलू की फसल को 40 से 50 फीसदी तक नुकसान हो सकता है। साथ ही सब्जियों पर भी पाला का प्रभाव देखने को मिलेगा।
पाला से सरसों और आलू को बचाने के लिए सल्फर युक्त रसायनों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। डाइमिथाइल सल्फर ऑक्साइड का 0.2 फीसदी या 0.1 फीसदी थायो यूरिया का छिड़काव करें। वहीं ये छिड़काव 15 दिनों के अंतराल पर फिर दोहराएं। वहीं जब शीतलहर का प्रकोप बढ़ने लगे तब फसल में हल्की सिंचाई करें। ऐसा करने से फसलों को पाले से बचाया जा सकता है।
पाला पड़ने से फसलों पर कई रोग भी लगने लगते हैं। फसलों में कीट के नियंत्रण के लिए एजाडिरेक्टिन 0.15 प्रतिशत को 400-500 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करना चाहिए। रासायनिक नियंत्रण के लिए डाईमेथोएट 30 प्रतिशत मिथाइल 25 प्रतिशत और क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत को 600-750 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से स्प्रे करना चाहिए। इससे फसलों को कीट से छुटकारा मिलता है।
मौसम विभाग का कहना है कि 16 जनवरी को पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के कई हिस्सों में और अगले 03 दिनों तक कुछ हिस्सों में रात और सुबह में कुछ घंटों के लिए घने से बहुत घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार 16 जनवरी को इन राज्यों में पाला पड़ने की संभावना है। अभी अगले कुछ दिनों तक उत्तर भारत में घना कोहरा छाया रहेगा, जिसकी वजह से नमी बनी रहेगी और इस कारण से फसलों को काफी नुकसान पहुंच सकता है। ऐसे में किसानों को फसल के रखरखाव में सावधानी बरतने की जरूरत है।