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निर्यात पर रोक के बावजूद 3000 रुपये क्विंटल हुआ प्याज का थोक दाम, खुदरा भी महंगा

देश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक महाराष्ट्र की पांच मंडियों में शुक्रवार को प्याज का अधिकतम दाम 3000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। इससे किसानों में और भी अच्छा दाम मिलने की कुछ उम्मीद जगी है। क्योंकि एक्सपोर्ट से पहले प्याज का थोक भाव किसानों को 40 रुपये क्विंटल तक मिल रहा था। करीब एक महीने पहले 7 दिसंबर को एक्सपोर्ट बंद होने के दो तीन दिन बाद ही अधिकतम दाम घटकर 1500 रुपये क्विंटल तक आ गया था। अब एक बार फिर मंडी में भाव बढ़ना शुरू हुआ है।

बीती पांच जनवरी को कोल्हापुर में प्याज का अधिकतम दाम 3100 रुपये क्विंटल तक पहुंच गया। निर्यात पर रोक के बाद यह सबसे ऊंचा दाम है। पुणे जिले की जुन्नर, पुणे, नागपुर की कामठी और सतारा की वाई मंडी में अधिकतम दाम 3000 रुपये क्विंटल दर्ज किया गया। जबकि न्यूनतम दाम 500 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। जबकि एक्सपोर्ट बैन के तुरंत बाद कुछ मंडियों में न्यूनतम 100 से 200 रुपये क्विंटल तक ही रह गया था।

इस साल देश में प्याज का उत्पादन कम हुआ है। लगभग दस प्रतिशत उत्पादन में कमी का सरकारी आंकड़ा सामने आया है। रबी सीजन में भी कम रोपाई के संकेत मिले हैं,इसलिए दाम घटाने क्क्त हर कोशिश बेकार जाती है। अगस्त 2023 से ही यह देखने में आ रहा है कि जब-जब सरकार प्याज का दाम घटाने वाले फैसले लेती है तब थोड़े दिन दाम गिरते हैं लेकिन फिर बढ़ने लगते हैं क्योंकि उत्पादन कम है।

दूसरी बात यह है कि किसान अभी खरीफ सीजन के प्याज को थोड़ा रोक कर मंडी में ले जा रहे है। खरीफ सीजन का प्याज स्टोर नहीं किया जाता। कुछ दिन ही उसे रोका जा सकता है। प्याज के निर्यात पर रोक होने के बाद भी दाम बढ़ रहे हैं इसलिए अब जल्दी निर्यात खुलने की उम्मीद नहीं है।

प्याज का दाम कम करने के लिए सरकार अब तक हर तरकीब लगा चुकी है। किसानों का कहना है कि सरकार के पास निर्यात पर रोक लगाने के बाद किसानों को बर्बाद करने का अब कोई और हथियार नहीं है। सरकार ने सबसे पहले अगस्त में प्याज़ के निर्यात पर 40% ड्यूटी लगाई। और फिर उसके बाद 800 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य तय किया। नेफेड और एनसीसीएफ से सस्ता प्याज़ बिकवाया। तब भी दाम नहीं कम हुआ था तो निर्यात ही बंद करवा दिया। निर्यात पर रोक के एक महीने बाद अब दाम फिर बढ़ने लगे हैं।

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