कुत्तों के काटने, लोगों को घायल कर अस्पताल तक की नौबत तक पहुंचने की वारदातें लगातार बढ़ रही हैं। लोगों को घायल कर देने वाले कुत्तों में पालतू और सड़कों पर घूमते आवारा कुत्ते हैं। इस तरह की घटनाओं से बच्चे, बूढ़े, जवान, सभी दहशत में हैं। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा है कि आवारा जानवरों के हमलों के पीड़ितों को मुआवजा देना “मुख्य रूप से राज्य की जिम्मेदारी” होगी।
आवारा जानवरों के हमले से जुड़ी 193 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने यह आदेश सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा कि कुत्तों और मवेशियों जैसे आवारा जानवरों के हमलों के मामलों में राज्य मुख्य रूप से मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार होगा।हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने को लेकर अहम आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को कुत्तों सहित आवारा जानवरों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं या उनके हमलों के पीड़ितों को मुआवजे पर निर्णय लेने के लिए एक समिति गठित करने का आदेश दिया है।
जर्मनी की मीडिया ‘डायचे वेले’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कुत्ते के काटने के मामले में प्रत्येक दांत के निशान के लिए कम से कम 10,000 रुपये और प्रत्येक 0.2 सेमी घाव या मांस निकलने पर 20,000 रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए।
हाई कोर्ट ने कहा, “राज्य मुख्य रूप से मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी होगा। राज्य को दोषी एजेंसियों, राज्य निकायों या निजी व्यक्ति (अगर कोई हो) से राशि वसूलने का अधिकार होगा।”
पेश की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 से 2022 के बीच देश में आवारा कुत्तों के काटने के करीब 1.6 करोड़ मामले दर्ज किए गए यानी प्रतिदिन औसतन 10,000 मामले। हालांकि, असल संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। वर्ष 2022 में भारत में कुत्तों के काटने से 307 लोगों की मौत हुई, जिनमें सबसे ज्यादा 48 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए थे।
कुत्तों के अलावा, कोर्ट ने सूची में गाय, बैल, गधे, भैंस और पालतू जानवरों को भी शामिल किया। कोर्ट ने मुआवजा निर्धारित करने के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का आदेश दिया, जिसमें पुलिस अधीक्षक, संबंधित क्षेत्र के एसडीएम, जिला परिवहन अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी शामिल होंगे।
गौरतलब है कि यह आदेश भारत में आवारा कुत्तों के खतरे पर चल रही बहस के बीच आया है। पिछले महीने जाने-माने उद्योगपति और वाघ बकरी ग्रुप के निदेशक 49 वर्षीय पराग देसाई की मौत ने बहस का एक नया दौर शुरू कर दिया था। देसाई जब सुबह टहलने निकले थे तो उनपर आवार कुत्तों ने हमला कर दिया था और वे सड़क पर गिर गए और घायल हो गए। अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।