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हिमाचल में नदियों में बाढ़, पहाड़ दरके, कई जगह बादल फटने से फसलें तबाह, तबाही का मंज़र

इस बार मानसून हिमाचल प्रदेश में तबाही लेकर आया। सूबे में अब तक 766 घर जमीदोंज हो गए हैं, जबकि 7192 घरों को नुकसान पहुंचा। हिमाचल प्रदेश में 244 दुकानें, 2236 गौशालाएं तबाह हुई हैं। सैकड़ों लोग बेघर हुए हैं। प्रदेश में अब तक पहाड़ दरकने की 76 बड़ी घटनाएं और अचानक बाढ़ आने की 53 घटनाएं हो चुकी हैं। सूबे में अभी बरसात का कहर थमा नहीं है।

हिमाचल प्रदेश में अब तक बारिश से 190 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 54 लोगों की मौत पहाड़ दरकने और बाढ़ की चपेट में आने से हुई है, जबकि 219 लोग घायल तथा 34 लोग लापता हैं। खोजबीन की कोशिश जारी हैं।

भारी बारिश के कारण आयी इस आपदा की वजह से 363 सड़कें 25 दिन से बंद पड़ी हैं। इससे प्रदेशवासियों की आवाजाही बुरी तरह प्रभावित हुई है। सेबकी फसल तैयार है, जिसकी ढुलाई पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिंक रोड को मिलाकर बंद सड़कों की संख्या सैकड़ों में है। बारिश रुकने के बाद ही सही हालात का पता लगाया जा सकेगा।

सरकारी अनुमान है कि हिमाचल प्रदेश में 5691 करोड़ रुपए की सरकारी और निजी संपत्ति तबाह हो गई है। अकेले लोक निर्माण विभाग की 1962.09 करोड़ रुपए, जल शक्ति विभाग की 1543 करोड़ रुपए, बिजली बोर्ड की 1505.73 करोड़ की संपत्ति बर्बाद हुई है। अभी सटीक गणना, होने से और ज्यादा के नुकसान का पता लगाया जा सकेगा।

हिमाचल प्रदेश में पहाड़ दरकने (भूस्खलन) से कुल्लू जिले में 11 गांवों के करीब 500 घर खतरे की ज़द में आ गए हैं। मणिकर्ण घाटी का जतेहड़, ब्रेउना, करशैईगाड़, आनी का फनौटी, सैंज का बिहाली, गड़सा का खोलाआगे, बंजार का बंदल, कोशुनाली, रूपाजानी व आनी के कटोली गावों में 78 घरों को खाली कर लोग दूसरों के घरों में रह रहे हैं।

सूबे में अब तक बारिश से 190 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें 54 लोगों की मौत लैंड स्लाइड और बाढ़ की चपेट में आने से हुई है, जबकि 219 लोग घायल तथा 34 लोग लापता हैं।

मौसम विभाग की गणना के हिसाब से सिरमौर जिले में सबसे ज्यादा 1097.5 मिलीमीटर बारिश 31 दिनों में हुई। यह अब तक का जुलाई में रिकॉर्ड बरसात है। इससे पहले सिरमौर में नाहन की साल 2010 में रिकॉर्ड 843.2 मिलीमीटर बारिश हुई थी। सोलन जिले में भी 735 मिलीमीटर बारिश ने खूब कहर बरपाया है।

सोलन में पिछले 13 सालों में जुलाई में इतनी बारिश नहीं हुई। साल 2010 में यहां 488 मिलीमीटर बारिश हुई थी। शिमला जिले में भी इस बार 584 मिलीमीटर बारिश हुई, जो 18 साल में सर्वाधिक है। इससे पहले 2005 में शिमला जिले में 723 मिलीमीटर बारिश हुई थी।

सूबे में कांगड़ा जिले में 654 मिलीमीटर, बिलासपुर जिले में 459 मिलीमीटर, चंबा में 484 मिलीमीटर, हमीरपुर में 479 मिलीमीटर, किन्नौर में 197 मिलीमीटर, कुल्लू में 476 मिलीमीटर, लाहौल स्पीति में 156 मिलीमीटर, ऊना में 410 मिलीमीटर बारिश हुई है। यहां बरसात के साथ पहाड़ दरकने और अचानक बाढ़ आने की वजह से कई परिवार मुसीबत में घिर गए। PHOTO CREDIT – livemint.com

 

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