इस बार दालों के मामले में बुवाई का रकबा कुछ कम हुआ है। हालांकि ये गिरावट भी सीमित रही है। इस अवधि के दौरान पहले के 94.37 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस बार 94.26 लाख हेक्टेयर पर दलहन बुवाई की गई है। वहीं मोटे अनाज की बुवाई में भी सीमित गिरावट दर्ज हुई की गई है। इस अवधि में मोटे अनाज की बुवाई 26.54 लाख हेक्टेयर में की गई, जो पहले 26.70 लाख हेक्टेयर में की गई थी। जबकि इस सीजन में चावल की बुवाई में बढ़त देखने को मिली है और बुवाई का क्षेत्र 9.14 लाख हेक्टेयर में पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 8.33 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी।
इस रबी सत्र में 25 नवंबर को सभी रबी फसलों के तहत कुल खेती का रकबा 7.21 प्रतिशत बढ़कर 358.59 लाख हेक्टेयर हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 334.46 लाख हेक्टेयर था।
जहाँ तक गेहूं और तिलहन के रकबे की बात है तो पिछले साल से इस रबी सीज़न में 10% अधिक बुवाई होने की उम्मीद की गयी है|
बता दें कि हाल ही में कृषि मंत्रालय ने रबी फसलों की बुवाई के आंकड़े जारी किए हैं। इसके अनुसार रबी सत्र में 25 नवंबर तक गेहूं की बुवाई का रकबा 10.50 प्रतिशत बढ़कर 152.88 लाख हेक्टेयर हो गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 138.35 लाख हेक्टेयर था। तिलहन का रकबा 25 नवंबर तक 13.58 प्रतिशत बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर हो गया है।
इस बार बढ़े गेहूं ओर तिलहन के रकबे को देखते हुए अच्छे उत्पादन की उम्मीद की जा रही है। वहीं किसानों को गेहूं व तिलहन का बेहतर भाव मिलने की आशा है। बता दें कि बीते दिनों यूक्रेन और रूस युद्ध के दौरान गेहूं की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया था और अब भी इसकी कीमतें बाजार में बेहतर बनी हुई हैं।
नए आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश (6.40 लाख हेक्टेयर), राजस्थान (5.67 लाख हेक्टेयर), पंजाब (1.55 लाख हेक्टेयर), बिहार (1.05 लाख हेक्टेयर), गुजरात (0.78 लाख हेक्टेयर), जम्मू और कश्मीर (0.74 लाख हेक्टेयर), और उत्तर प्रदेश (0.70 लाख हेक्टेयर) में गेहूं बुवाई के रकबे में बढ़ोतरी हुई है। इस रबी सत्र में 25 नवंबर तक तिलहन का रकबा 13.58 प्रतिशत बढ़कर 75.77 लाख हेक्टेयर हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह रकबा 66.71 लाख हेक्टेयर था। इसमें से इस अवधि के दौरान पहले के 61.96 लाख हेक्टेयर के मुकाबले सरसों की बुवाई 70.89 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।