झारखंड सरकार ने किसान हित में एक बड़ी योजना शुरू की है| मौसम की मार से पीड़ित किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली झारखंड-सरकार ने राज्य में ‘झारखंड फसल राहत योजना’ की शुरुआत की है| झारखंड सरकार ने इस योजना की शुरुआत केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री फसल राहत योजना के स्थान पर की है| इस योजना के तहत राज्य सरकार ने किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले फसल के नुकसान से बचाने के लिए बीमा का प्रावधान किया है|
इस योजना के अंतर्गत यदि किसानों को किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण फसल का नुकसान होता है तो इस स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा पंजीकृत किसान को नुकसान की राशि प्रदान की जाएगी। इस योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को प्रीमियम की राशि का भुगतान करना होगा। इस योजना के अंतर्गत सूखा पड़ना, ओले पड़ना आदि जैसी प्राकृतिक आपदाएं शामिल की गई हैं।
यदि प्रदेश के किसान योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो उन्हें इस योजना के अंतर्गत आवेदन करवाना होगा। झारखंड फसल राहत योजना की वजह से अब किसानों को नुकसान नहीं होगा जिससे कि उनकी आय बढ़ेगी और वह आत्मनिर्भर बनेंगे। इस योजना के सफलतापूर्वक कार्यान्वयन के लिए झारखंड सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।
झारखंड की लगभग 75 फीसदी आबादी कृषि या इससे संबंधित क्षेत्र पर निर्भर है| इसके साथ ही झारखंड की कुल आबादी का 43 प्रतिशत कामगार कृषि या उससे संबंधित क्षेत्र से जुड़े हुए हैं| पर इससे मिलने वाली जीएसडीपी बेहद कम है| झारखंड सरकार द्वारा 2020-21 और 2021-22 में कृषि के लिए कई योजनाएं चलायी गयी है| ताकि झारखंड में कृषि को बढ़ावा मिल सके| इनमें लोन माफी योजना एक महत्वपूर्ण योजना है| इसके तहत किसानों का लोन माफ करने के लिए वर्ष 2020-21 में 2000 करोड़ का फंड जारी किया गया था|
राज्य सरकार ने झारखंड फसल राहत योजना के साथ किसानों का ऋण माफ करने का भी निर्णय लिया है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को दिए गए ऋण को माफ किया जाएगा। जिसके लिए सरकार द्वारा 2000 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है।