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मध्य प्रदेश : इंदौर के मालीखेड़ा में 15 एकड़ जमीन पर विकसित होगा पहला आलू एग्रो क्लस्टर

इंदौर में प्रदेश का पहला आलू एग्रो क्लस्टर विकसित किया जाएगा। इसके लिए जिले के मालीखेड़ी गांव में उद्योग विभाग की जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। यहां आलू चिप्स, आलू मैश, आलू का पाउडर आदि उत्पाद बनाए जा सकेंगे। आलू आधारित कारखाने लगाने के लिए शासन की उद्योग नीति के तहत रियायतें भी दी जाएंगी। आलू एग्रो क्लस्टर के लिए शासन की ओर से जमीन उपलब्ध कराने के बाद क्लस्टर का विकास आलू उद्यमियों का स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) बनाकर किया जाएगा।

एक जिला-एक उत्पाद के तहत प्रशासन और उद्यानिकी विभाग द्वारा दो साल से आलू एग्रो क्लस्टर विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए कोदरिया क्षेत्र में आलू की चिप्स बनाने वालों को जोड़ने का प्रयास किया गया था। साथ ही कुछ सहकारी संस्थाओं के जरिए आलू उत्पादक किसानों को जोड़कर आलू आधारित प्लांट लगाने की तैयारी भी की थी। पर कहीं संसाधनों के अभाव और किसानों की अरुचि के कारण यह योजनाएं सफल नहीं हो पाई। इसीलिए अब उद्योग नीति के तहत आलू उद्यमियों को जोड़कर आलू एग्रो क्लस्टर विकसित करने की योजना बनाई गई है।

उद्योग विभाग को भेजा प्रस्ताव – अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर ने बताया कि जिला प्रशासन ने इस संबंध में उद्योग विभाग को अपना प्रस्ताव भेज दिया है। जमीन मिलने की सहमति के बाद क्लस्टर के लिए काम शुरू कर दिया जाएगा। आलू क्लस्टर का विकास एसपीवी के माध्यम से होगा। उद्योग विभाग के महाप्रबंधक अजय सिंह चौहान के अनुसार उद्योग नीति के तहत क्लस्टर में आलू आधारित इकाइयां लगाने पर उद्यमियों को संयंत्र, मशीनरी आदि निवेश पर 40 प्रतिशत का अनुदान भी मिलेगा। पेड़मी गांव में आलू चिप्स की इकाई चलाने वाले किसान राजवीरसिंह डावर का कहना है कि आलू क्लस्टर की योजना तो ठीक है, लेकिन शासन का सहयोग होगा और सस्ती जमीन उपलब्ध कराई जाएगी, तभी छोटे उद्यमी जगह ले पाएंगे। वरना जमीन तो मिल जाती है, लेकिन बैंक से ऋण लेने और अन्य विभागों से अनुमति लेने में ही उद्यमी परेशान होते रहते हैं।

आलू क्लस्टर में सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ ही आलू इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी के उपचार के लिए सामूहिक रूप से इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) भी लगाया जाएगा।
कोदरिया में असंगठित रूप से अस्वच्छ वातावरण में आलू चिप्स के कारखाने चलाए जा रहे हैं। इससे नदी-नालों में प्रदूषण भी हो रहा है, लेकिन मालीखेड़ी में ऐसा नहीं होगा। यह एक संगठित आलू क्लस्टर होगा।

इंदौर जिले में आलू आधारित उत्पाद बनाने वाली 20 बड़ी इकाइयां हैं। इसके अलावा कई छोटी-छोटी इकाइयां हैं जो चिप्स बनाने का काम करती हैं। कोदरिया में ही लगभग 150 इकाइयां हैं जो सीजन में तीन-चार महीने चलती हैं। बड़ी इकाइयां अपने विस्तार के लिए तो कुछ छोटी इकाइयां व्यवस्थित तरीके से काम करने के लिए आलू क्लस्टर में आ सकती हैं।

उद्यानिकी विभाग के उप संचालक त्रिलोकचंद्र वास्केल ने बताया कि इंदौर जिले में हर साल लगभग 45 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में आलू बोया जाता है। आलू की अधिक खेती और कारोबारी शहर होने के कारण यहां आलू आधारित इकाइयों की काफी संभावनाएं हैं।

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