रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया 21 फीसदी गेहूं, जौ और मक्का का निर्यात करते हैं. सूरजमुखी की वैश्विक सप्लाई में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी 60 फीसदी है| रूस दुनिया का 17.1 फ़ीसदी प्राकृतिक गैस का उत्पादन करता है| यह गैस का सबसे बड़ा निर्यातक है| कच्चे तेल के निर्यात में सऊदी अरब के बाद यह दूसरे नंबर पर है| रूस और यूक्रेन मिलकर दुनिया का 21 फीसदी गेहूं, जौ और मक्का का निर्यात करते हैं| सनफ्लावर ऑयल की ग्लोबल सप्लाई में इन दोनों देशों की हिस्सेदारी 60 फ़ीसदी है| रूस और बेलारूस खाद के एक्सपर्ट में भी 20 फ़ीसदी हिस्सेदारी रखते हैं|
एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस और यूक्रेन की जंग से इन सामानों की सप्लाई घट सकती है| ऐसे में इनकी कीमतों पर सीधा असर होगा| साथ ही, इनका जहां जहां कच्चे माल के तौर पर इस्तेमाल होता है उनके दाम बढ़ सकते है| इसीलिए अब माना जा रहा है कि नेचुरल गैस की कीमतें बढ़ सकती है| आपको बता दें कि खाद बनाने में नेचुरल गैस का इस्तेमाल होता है| इसीलिए खाद सप्लाई पर इसका असर हो सकता है|
रूस-सबसे बड़ा जौ उत्पादक, यूक्रेन चौथे नंबर पर-रूस जौ का सबसे बड़ा उत्पादक है| वहां सालाना उत्पादन 1.8 करोड़ टन के आसपास है| यूक्रेन चौथे नंबर पर है जहां उत्पादन 95 लाख के आसपास है| भारत में जौ का उत्पादन 16-17 लाख टन के आसपास रहता है|
राजस्थान और उत्तर प्रदेश इसके सबसे बड़े उत्पादक हैं| भारत में कुछ प्रमुख ब्रांड को छोड़ दें तो बेवरेज कंपनियां घरेलू बाजार से ही जौ खरीदती है| रूस और यूक्रेन से सप्लाई बाधित होने पर ग्लोबल मार्केट में दाम बढ़ेंगे और उसका असर घरेलू बाजार में भी कीमतों पर दिखेगा|
रूस और यूक्रेन के बीच हमलो के चलते विश्व बाजार में रोजमर्रा के सामान के दामों में पहले ही तेजी देखने को मिल रही है| आने वाले दिनों में इसका और अधिक असर हो सकता है|गर्मियां आने वाली हैं और गर्मियों में बियर की खपत अधिक होती है| दुनिया में ज्यादातर बियर जौ (जई) से ही बनती है|
इसकी कीमत में 30 फ़ीसदी हिस्सा जौ का होता है| बीते एक साल में इसकी कीमत पहले ही 60 फ़ीसदी से अधिक बढ़ चुकी है| रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध बढ़ने से जौ की दुनिया में सप्लाई बाधित होगी और दाम और बढ़ेंगे| इसके अलावा, कच्चा तेल महंगा होने से ढुलाई महंगी हो गई| युद्ध बढ़ने से बीमा प्रीमियम भी बढ़ गया है| इसलिए रूस और यूक्रेन से आयात करने में दूसरे देश बच सकते हैं और दूसरे देशों का रुख कर सकते हैं|
बेवरेज कंपनियां मार्च में ही ज्यादा जौ खरीदती हैं| दुनिया में 90 फ़ीसदी माल्ट उत्पादन जौ से ही होता है| माल्ट से बियर, व्हिस्की और अन्य अल्कोहलिक बेवरेज बनाए जाते हैं| इसके अलावा जौ का इस्तेमाल फूड प्रोसेसिंग और पशु चारे में भी होता है|
अपनी खपत के हिसाब से गर्मियों को ध्यान में रखते हुए अनेक बेवरेज कंपनियां मार्च के महीने में ही जौ अधिक मात्रा में खरीदती हैं| इसलिए अभी सप्लाई बाधित होने या दाम बढ़ने पर उसका असर सीधा उत्पादन और कीमत पर पड़ेगा|