झारखंड में अप्रैल के शुरुआत मे तेजी से तापमान में बढ़ोतरी हो रही है| इस कारण खेती करने में परेशानी हो रही है| इस मौसम में किसानों को इसके लिए रांची मौसम विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा राज्य के किसानों किए जरूरी सलाह जारी की हैं|
वैज्ञानिकों ने कहा कि दिन के तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ तेज हवा की गति के कारण पौधों के जल की आवश्यकता बढ़ जाती है| इसलिए किसान भाई अपने फसलों और सब्जियों में नियमित रूप से सिंचाई करते रहें| ताकि पौधों की हरियाली बनी रहे और पैदावार प्रभावित नहीं हो|
किसानों से कहा गया है कि रबी की जो भी फसल तैयार हो गयी उसकी कटाई के बाद खेत की जुताई करें पर उसमें पाटा नहीं चलाए हैं|
जुताई करने के बाद मिट्टी को खुला छोड़ दें ताकि मिट्टी में मौजूद खर-पतवार और कीड़े मकोड़े नष्ट हो जाएंगे| जिन किसानों के खेत में टमाटर की फसल खत्म होने वाली है वे इसे हटाकर भिंडी की बुवाई करें| जिन किसानों ने गरमा धान की खेती की है, वो खेतों में जलजमाव बनाए रखने के लिए मेढ़ को दुरुस्त रखें तथा समय से रोपे गए धान में 45-50 दिनों बाद यूरिया का दूसरा छिडकाव करें| इसके पहले खेत से खर-पतवार अवश्य निकाल लें|
जिन किसानों ने नवंबर महीने में गेहूं की बुवाई की है उनकी फसल तैयार हो गयी है| इसलिए किसान भाई इसकी कटाई का कार्य आरंभ करें|
फसल की कटाई से पहले किसान भाई यह ध्यान दें की गेहूं की बालियों में लूज स्मट नामक रोग तो नहीं हो गया है| उससे ग्रसित बालियां काले चूर्ण का रुप ले लेती हैं, इसके कारण उसमें दाने नहीं बनते हैं| इसलिए अगर बालियों में लूज स्मट दिखाई पड़े तो उन्हें सावधानी पूर्वक तोड़कर जलाकर नष्ट कर दें| साथ ही साथ रोगी बालियों को काटते वक्त यह सावधानी बरतें की उसका चूर्ण जमीन पर नहीं गिरे| इसके अलावा देर से बोई गई गेहूं की फसल इस समय दाना भरने का दाना पुष्ट होने की अवस्था में है| इस अवस्था में नमीं की कमी होने से उपज पर प्रतिकुल असर पड़ता है| इसलिए किसान भाई समय पर सिंचाई करते रहें|
इस वक्त कद्दू वर्गीय सब्जियों में लाल भृंग कीटों का आक्रमण होने पर इसकी जल्द से जल्द रोकथाम करें| इन कीटों का विकास खेत की मिट्टी में ही होता है तथा बड़ा होने पर यह पौधों में चढ़कर पत्तियों का रस चूसता है| इसलिए पौधों के जड़ की आस-पास की मिट्टी को खोदकर क्लोरोपाइरीफोस नामक कीटनाशक का छिड़काव चार मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर अच्छी तरह भिंगो दे| इसके अलावा इस कीटनाशक का छिड़काव दो मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें. आम और लीची के पेड़ों में फल लगने के बाद नियमित रुप से सिंचाई करतें रहें|
लीची के छोटे-छोटे फल को गिरने से बचाने के लिए पेड़ों में प्लानोफिक्स हारमोन का छिड़काव पांच मिली प्रति 10 लीटर पानी की दर से करें|