वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल कहा कि वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग की वजह से देश का गेहूं निर्यात वित्त वर्ष 2022-23 में एक करोड़ टन के पार जाने की उम्मीद है|
गेहूं निर्यात 2021-22 में 70 लाख टन (15,000 करोड़ रुपये से अधिक) को पार कर गया था जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 21.55 लाख टन रहा था| वर्ष 2019-20 में यह महज दो लाख टन (500 करोड़ रुपये) रहा था|
गोयल ने कहा, ‘‘हम बड़े पैमाने पर गेहूं निर्यात जारी रखेंगे और उन देशों की जरूरतें पूरी करेंगे जिन्हें संघर्षरत क्षेत्रों से आपूर्ति नहीं मिल पा रही है| मेरा मानना है कि इस बार हमारा गेहूं निर्यात बहुत आसानी से 100 लाख टन से पार निकल जाएगा|’’
गेहूं की वैश्विक आपूर्ति में रूस और यूक्रेन की करीब एक चौथाई हिस्सेदारी रहती आई है| इन दोनों देशों में गेहूं की फसल इस साल अगस्त और सितंबर में पक जाएगी|
गोयल ने कहा कि किसान भी गेहूं का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं और गुजरात तथा मध्य प्रदेश जैसे क्षेत्रों से पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक आयात हो रहा है| गेहूं निर्यात के बारे में मिस्र से भारत की अंतिम दौर की बातचीत चल रही है जबकि चीन और तुर्की के साथ भी संवाद चल रहा है|
इस अवसर पर डायरेक्टर जनरल फॉरेन ट्रेड संतोष कुमार सारंगी ने कहा कि अन्य बंदरगाहों से निर्यात सुगम बनाने के लिए वाणिज्य विभाग, खाद्य एवं जन सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा भी प्रयास किए जा रहे हैं| ज्यादातर निर्यात कांडला बंदरगाह से होता है. सांरगी ने बताया कि विशाखापटनम, काकीनाडा और न्हावा शेवा जैसे बंदरगाहों से गेहूं निर्यात शुरू करने के लिए रेलवे से बात चल रही है|
पीयूष गोयल ने रविवार को वित्त वर्ष 2021-22 के व्यापार आंकड़े जारी करते हुए कहा कि पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग वस्तुओं, रत्न एवं आभूषण और रसायन क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का वस्तुओं का निर्यात 418 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है|