चौधरी चरण सिंह कॄषि विश्वविद्यालय हरियाणा ने सरसों की नई किस्म विकसित की है। यह किस्म पन्द्रह कुंटल तक पैदावार देती है। इस उन्नत किस्म की पैदावार 11-12 क्विंटल प्रति एकड़ और औसत उपज क्षमता 14-15 क्विंटल प्रति एकड़ है।
सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुआई के लिए सरसों की एक उन्नत किस्म (RH 1975) विकसित की है, जो मौजूदा किस्म (RH 749) की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत अधिक उपज देगी। किसानों के लिए लाभकारी सरसों की इससे किस्म में तेल भी ज्यादा है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के सरसों केंद्र की देश के सबसे अच्छे अनुसंधान केंद्रों में गिनती होती है। इन किस्मों से पहले वर्ष 2018 में विकसित की गई सरसों की किस्म आर.एच. 725 मौजूदा समय में किसानों के बीच सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय किस्म बन चुकी है। यह किस्म हरियाणा के अलावा यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश में लगभग 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्रों में अकेली उगाई जाने वाली किस्म है। यह किस्म औसत 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार आराम से दे रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति बीआर कंबोज ने कहा कि पंजाब, दिल्ली, जम्मू, उत्तरी राजस्थान और हरियाणा के सिंचित क्षेत्रों में बुआई के लिए ‘आरएच 1975’ किस्म की पहचान की गई है। इसलिए इस किस्म का लाभ इन राज्यों के किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष तक इस किस्म के बीज किसानों को उपलब्ध करा दिए जाएंगे।
सरसों उत्पादन के मामले में, राजस्थान देश के अन्य सभी राज्यों में अव्वल है। यहां की जलवायु और मिट्टी सरसों की खेती के लिए काफी अनुकूल है। इस वजह से सबसे अधिक सरसों का उत्पादन राजस्थान में होता है. कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले सरसों में राजस्थान में अकेले 46.7 प्रतिशत का उत्पादन होता है।
सरसों के उत्पादन में देश के सिर्फ ये पांच राज्य अकेले 88 प्रतिशत सरसों का उत्पादन करते है। कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग के आंकड़ों के अनुसार वह पांच राज्य, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं।