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अब बाजरा व मोटे अनाजों की मदद से बनाया जायेगा मीठा उपयोगी गुड़

उत्तर प्रदेश गन्ना अनुसंधान परिषद बाजरा और मोटे अनाज से बना एक नए प्रकार का गुड़ विकसित कर रहा है जो मिनिरल्स और विटामिनों से भरपूर होगा। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर स्थित गन्ना शोध संस्थान की स्पर्श फेलो सुचित्रा सिंह के साथ काम कर रहा है।

एक बार बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए तैयार इस उत्पाद का वितरण और बिक्री महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा की जाएगी। चीनी मिलों के संघ (UPCSR) और बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल स्पर्श फेलोशिप के विजेता, सिंह के बीच इस उत्पाद के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने और इस उद्यम को आगे बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

संस्थान के निदेशक एसके शुक्ला ने अनुसार- “प्रौद्योगिकी विकसित होने के बाद, वितरण और बिक्री के लिए स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जाएगा। पहले हम उत्पाद विकसित करेंगे, यह पता लगाएंगे कि इसका उपयोग किन खाद्य पदार्थों में किया जा सकता है, बाजार में इसका परीक्षण करेंगे और फिर बड़े पैमाने पर उत्पादन करेंगे”।

जिला गन्ना अधिकारी अशफी लाल के अनुसार “यह कदम संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2023 को बाजरा के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष घोषित करने के अनुरूप है। एक बार पहल करने के बाद, एसएचजी की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और संस्थान द्वारा ढांचागत समर्थन दिया जाएगा”।

जहां तक मोटे अनाजों से बने गुड़ के गुणों की बात करें तो बाजरा लौहलवण से भरपूर होता है इसलिए यह ख़ून की कमी को दूर करने में बहुत सहायक है। ज्वार हड्‌डियों के लिए अच्छी मात्रा में कैल्शियम, ख़ून के लिए फॉलिक एसिड व कई अन्य उत्तम पोषक तत्व प्रदान करता है। इसी प्रकार से रागी एकमात्र ऐसा अनाज है जिससे कैल्शियम भरपूर मिलता है। और जो लोग दूध नहीं लेते लेकिन इसका सेवन करते हैं, उनमें कैल्शियम की कमी नहीं होती। हालांकि सभी मोटे अनाज उतनी ही मात्रा में प्रोटीन देते हैं जितना कि गेहूं-चावल से मिलता है, यानी कि 100 ग्राम कोई भी मोटा अनाज खाएंगे तो 7-12 ग्राम तक का प्रोटीन हमें मिलेगा। परंतु अंतर ये है कि प्रोटीन जो अमीनो एसिड का बना होता है इसकी गुणवत्ता गेहूं और चावल के प्रोटीन से बेहतर पाई गई है।

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