tag manger - उत्तर प्रदेश : सभी 75 जिलों में किसानों के लिए बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस – KhalihanNews
Breaking News

उत्तर प्रदेश : सभी 75 जिलों में किसानों के लिए बनेंगे सेंटर ऑफ एक्सीलेंस

सूबे में साल 2027 तक प्रदेश में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसदी से बढ़ाकर 16 फीसदी करने तथा खाद्य प्रसंस्करण का दायरा 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद किया जाना है।

इसके लिए सूबे में बड़े पैमाने पर किसानों और उद्यमियों को प्रसंस्करण इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रसंस्करण इकाइयां लगने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की जरूरत होगी, और इसकी पूर्ति के लिए किसानों को बागवानी फसलों की पौध एवं प्रशि‍क्षण सहित अन्य तकनीकी सपोर्ट देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी शुरू किए जा रहे ह‍ैं।

उद्यान निदेशालय, उत्तर प्रदेश का कहना है कि शाक भाजी यानी फल एवं सब्जियों की खेती और इनका प्रसंस्करण व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इसके मद्देनजर सरकार ने बागवानी खेती काे लगातार प्रोत्साहन देने के लिए उद्यान विभाग को अगले 5 साल में इस खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य दिया है।

बताया गया कि सब्जी के लिए तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, कानपुर, कन्नौज और झांसी में बन गए हैं। फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुंदेलखंड को प्रदेश की नई फलपट्टी के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए बांदा में पिंड खजूर एवं अन्य फलों की खेती के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रस्ताव है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी योजना को विस्तार देते हुए इस क्रम में चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में बागवानी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्माणाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस काम करने लगे हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी, बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मीरजापुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस या हाईटेक नर्सरी बन रही हैं। विभाग का दावा है कि साल 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में किसानों को सेवाएं देने लगेंगी।

About

Check Also

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता के अनुरूप विभिन्न पदों पर युवाओं को नौकरी भी मिल सकेगी। साथ ही यह फॉरेस्ट्री को विकसित करने और वन संरक्षण का बड़ा माध्यम भी बनेगा। सीएम योगी शुक्रवार को गोरखपुर वन प्रभाग के कैम्पियरगंज रेंज के भारीवैसी में स्थापित दुनिया के पहले जटायु राजगिद्ध (रेड हेडेड वल्चर) संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने इस केंद्र के निर्माण में योगदान देने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जब विकास प्रकृति और पर्यावरण को बचाकर किया जाएगा, तभी वह सतत विकास होगा। लंबे समय तक उसका लाभ मिलेगा। प्रकृति और पर्यावरण की कीमत पर होने वाला विकास क्षणिक और खतरनाक होता है। इसके दूरगामी परिणाम होते हैं। गिद्धराज जटायु के रामायणकालीन आख्यान का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पेस्टीसाइड के दुष्प्रभाव से पर्यावरण के संरक्षक गिद्धों की संख्या तेजी से घटी है। उनके संरक्षण के लिए यूपी और भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला संरक्षण केंद्र कैम्पियरगंज में खोला गया है। खुशी की बात यह भी है कि इस केंद्र में वनटांगिया समुदाय के लोग भी केयरटेकर के रूप में नौकरी से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रकृति और इसके जीवों को बचाने की जिम्मेदारी हम सबकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज हम जटायु संरक्षण केंद्र के माध्यम से अपनी वैदिक और पौराणिक परंपरा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर रहे हैं। गिद्धराज जटायू धर्म और नई गरिमा की रक्षा के लिए रामायण काल के पहले बलिदानी थे। उन्होंने सीताजी के दुखभरे वचन को सुनकर ही जान लिया था कि यह आवाज रघुकुल तिलक श्रीराम की अर्धांगिनी का है। गिद्धराज जटायु राजा दशरथ के मित्र थे। मित्रता निभाने और नारी गरिमा की रक्षा के लिए वे निहत्थे ही रावण से भिड़ गए और खुद को बलिदान कर दिया। रामायण से हमें मित्रता, नारी गरिमा, मर्यादा, अनुशासन और वचन रक्षा की प्रेरणा मिलती है। आज के कालखंड में भी पर्यावरण की शुद्धि के लिए जो कार्य जटायु के वंशजों द्वारा किया जाता है, वह अविस्मरणीय है। जटायु के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए, रामायणकालीन उनकी स्मृतियों को बनाए रखने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के सामने गिद्धराज जटायु की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है और अब यह जटायु संरक्षण केंद्र भी उसी की कड़ी है। इस अवसर पर वन, पर्यावरण एवं जंतु उद्यान राज्य मंत्री केपी मलिक, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, विधायक विपिन सिंह, डॉ. विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ल, एमएलसी एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र सिंह, वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष चारू चौधरी, फरेंदा के पूर्व विधायक बजरंगी सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इस जटायु संरक्षण केंद्र का शिलान्यास भी मुख्यमंत्री ने 7 अक्टूबर 2020 को किया था। राजगिद्ध जटायु की गाथा तो रामायण काल से ही सभी जानते हैं लेकिन पर्यावरणीय खतरे के चलते जटायु के वंशजों के अस्तित्व पर ही संकट आ गया। योगी सरकार ने इस संकट को दूर करने का संकल्प लिया है।

पहला फॉरेस्ट्री कॉलेज गोरखपुर में, डिप्लोमा कोर्स से युवाओं को मिलेगी की नौकरी

गोरखपुर में बन से संबंधित पढ़ाई के लिए डिग्री और डिप्लोमा के पाठ्यक्रम की आवश्यकता …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *