सूबे में साल 2027 तक प्रदेश में बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6 फीसदी से बढ़ाकर 16 फीसदी करने तथा खाद्य प्रसंस्करण का दायरा 6 फीसद से बढ़ाकर 20 फीसद किया जाना है।
इसके लिए सूबे में बड़े पैमाने पर किसानों और उद्यमियों को प्रसंस्करण इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रसंस्करण इकाइयां लगने पर कच्चे माल के रूप में फलों एवं सब्जियों की जरूरत होगी, और इसकी पूर्ति के लिए किसानों को बागवानी फसलों की पौध एवं प्रशिक्षण सहित अन्य तकनीकी सपोर्ट देने के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी शुरू किए जा रहे हैं।
उद्यान निदेशालय, उत्तर प्रदेश का कहना है कि शाक भाजी यानी फल एवं सब्जियों की खेती और इनका प्रसंस्करण व्यापक संभावनाओं का क्षेत्र है। इसके मद्देनजर सरकार ने बागवानी खेती काे लगातार प्रोत्साहन देने के लिए उद्यान विभाग को अगले 5 साल में इस खेती के क्षेत्रफल में विस्तार, उपज में वृद्धि और प्रसंस्करण के बाबत महत्वाकांक्षी लक्ष्य दिया है।
बताया गया कि सब्जी के लिए तीन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, कानपुर, कन्नौज और झांसी में बन गए हैं। फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए बुंदेलखंड को प्रदेश की नई फलपट्टी के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए बांदा में पिंड खजूर एवं अन्य फलों की खेती के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने का प्रस्ताव है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस महत्वाकांक्षी योजना को विस्तार देते हुए इस क्रम में चंदौली, कौशाम्बी, सहारनपुर, लखनऊ, कुशीनगर और हापुड़ में बागवानी के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस निर्माणाधीन है। इसी तरह बहराइच, अम्बेडकरनगर, मऊ, फतेहपुर, अलीगढ़, रामपुर, और हापुड़ में मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस काम करने लगे हैं। सोनभद्र, मुरादाबाद, आगरा, संतकबीरनगर, महोबा, झांसी, बाराबंकी, लखनऊ, चंदौली, गोंडा, बलरामपुर, बदायूं, फिरोजाबाद, शामली और मीरजापुर में भी मिनी सेंटर ऑफ एक्सीलेंस या हाईटेक नर्सरी बन रही हैं। विभाग का दावा है कि साल 2027 तक इस तरह की बुनियादी संरचना हर जिले में किसानों को सेवाएं देने लगेंगी।