गंगा नदी भारत में उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल समेत कुल 10 राज्यों से होकर गुजरती है और इसका कैचमेट एरिया 86,1404 वर्ग किलोमीटर है। गंगोत्री से बंगाल की खाड़ी तक इस नदी की लम्बाई करीब 2,525 किलोमीटर है। और अगर वित्तमंत्री निर्मल सीतारमण की घोषणा की मानें तो इस क्षेत्र में नदी के किनारे जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
बिहार सरकार ने ठीक इसी तर्ज पर दो साल पहले जैविक कॉरिडोर योजना शुरू की थी। गंगा के किनारे के 13 जिलों- पटना, बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया, बेगूसराय, लखीसराय, भागलपुर, मुंगेर, कटिहार और नालंदा में जैविक कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है।
जैविक योजना में जिलों की संख्या बढ़ कर 13 हो जाएगी। बक्सर से कटिहार तक गंगा नदी के किनारे जैविक कॉरिडोर होगा। जैविक कॉरिडोर से भी छूटे जिलों के किसानों को जैविक विधि से फसल व सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए सरकार योजना का लाभ देगी। कृषि विभाग ने जैविक खेती के विस्तार की योजना तैयार कर ली है।
राज्य के किसान इस योजना से जुड़कर प्रति एकड़ में जैविक खेती के लिए 11,500 रुपये की आर्थिक सहायता और अपने जैविक उत्पाद बेचने के लिए ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन भी ले सकते हैं| इस योजना का लाभ लेकर एक तरफ खेती की लागत को कम करने में मदद मिलेगी, वहीं ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन की तर्ज पर जैविक कृषि उत्पादों को भी अच्छे दाम पर बेचा जा सकेगा, जिससे कम लागत में किसानों को आमदनी भी बढ़ पाएगी|
योजना के तहत जैविक खेती करने के लिए हर किसान को अनुदान नहीं मिलता, बल्कि 25 सदस्यों वाले किसान उत्पादक संगठन या 25 एकड़ में फैले क्लस्टर में शामिल किसानों को ही अनुदान और सर्टिफिकेशन दिया जाता है| बिहार के कृषि व किसान कल्याण विभाग के अनुसार, जैविक कॉरिडोर योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को क्लस्टर या किसान उत्पादक संगठन का सदस्य होना अनिवार्य है|
इस योजना के नियमानुसार, अनुदान के कुल 11,500 रुपये प्रति एकड़ की रकम से 6,500 रुपये का नेशनल प्रोग्राम ऑर आर्गेनिक प्रोडक्शन का प्रमाणित खाद और प्लास्टिक का ड्रम खरीदना होता है, जिसके बाद शेष बची 5,000 रुपये से वर्मी कंपोस्ट प्लांट भी लगाना होता है, ताकि जैविक खेती के लिए बाहर से खाद ना खरीदने पर खर्च न करना पड़े|