जलवायु परिवर्तन और उसके दुष्परिणामों के लिये सहनशील नींबू की नई किस्म है- थार वैभव | हाल ही में नींबू की व्यावसायिक खेती के लिये भी वैज्ञानिकों ने कई किस्म थार वैभव लाइम ईजाद की है| पौधा लगाने के तीन साल के बाद 60 किलो तक पीले नींबूओं का उत्पाद न देगी| यह किस्म गुजरात के गोधरा में स्थित आईसीएआर-सीआईएएच वेजलपुर के वैज्ञानिकों ने विकसित की है|
बता दें कि थार वैभव लाइन के पौधों की रोपाई करने के तीन साल फलत मिलने लगती है और 6 बाद एक ही पौधा 60.15 किलो तक फलों की उपज दे सकता है|
गोल बनावट और पीले रंग वाले थार वैभव एसिड लाइन के फल भी काफी आकर्षक होते हैं. इस किस्म के फलों में करीब 49 प्रतिशत तक रस और 6.84% एसिड मौजूद होता है|
सबसे अच्छी बात यह है कि इस किस्म के नींबू आकार में बड़े होते हैं, जिनमें बाकी किस्मों के मुकाबले कम ही बीज होते हैं|
नींबू की थार वैभव किस्म के पौधों की हर डाली पर 3 से 9 फलों का उत्पादन मिलता है, जिसके चलते पैदावार के मामले में ये किस्म बेहद खास है|
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, फलदार पौधों की रोपाई के लिये मानसून का समय ही अच्छा रहता है| इस समय मिट्टी के पोषक तत्व और वातावरण की नमी मिलकर पौधों के विकास में मदद करते हैं|
गर्मियों के दिनों में फलत के बाद 125 से 135 दिन के अंदर थार वैभव एसिड लाइम के फल पककर तैयार हो जाते हैं| वहीं मानसून और सर्दियों में फल पकने में 145 से 150 दिनों का समय लग जाता है| इस तरह नींबू की उन्नत किस्मों में थार वैभव एसिड लाइन कम लागत में बेहतर क्वालिटी के फलों का उत्पादन दे सकता है|
नींबू की व्यवसायिक खेती
भारत से बढ़ते विदेशी निर्यात के चलते नींबू की डिमांड में भी काफी इजाफा हुआ है| देश में सालभर इस सहाबहार फल की डिमांड बनी रही है| यहां आंध्र प्रदेश , महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान, बिहार के साथ ही कई राज्यों के किसान नींबू की खेती के जरिये अच्छी आमदनी ले रहे हैं|