मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यूपी में सबसे अच्छा जल संसाधन, सबसे अच्छी उर्वरा भूमि है। पूरे देश का 12 प्रतिशत भूभाग हमारे पास है और इसी में हम पूरे देश का 20 प्रतिशत कृषि उत्पादन करते हैं। यदि प्राकृतिक खेती अपनाई जाए तो यह स्थिति और बेहतर हो सकती है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धरती की रक्षा करनी है तो प्राकृतिक खेती की तरफ जाना ही होगा। इसके लिए आवश्यकता पड़ेगी तो बोर्ड गठन की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा। पीएम की मंशा के अनुरूप खेती को विषमुक्त करना है। श्री योगी ‘उप्र सतत एवं समान विकास की ओर’ विषय पर आयोजित कान्क्लेव को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना की तर्ज पर अब कृषि क्षेत्र में प्रत्येक जिले के एक विशेष उत्पाद को बढ़ावा दिया जाएगा, जैसे सिद्धार्थनगर में काला नमक चावल और मुजफ्फरनगर में गुड़।
उन्होने कहा कि गंगा के दोनों तटों पर पांच पांच किमी तक खास तौर से तटवर्ती 27 और बुंदेलखंड के सात यानी कुल 34 जिलों में इस खेती के लिए अभियान शुरू हो चुका है। देश में कृषि पहले नंबर पर और एमएसएमई दूसरे नंबर पर है। आज प्रदेश में 90 लाख एमएमएमई इकाइयां हैं। यदि दोनों एक दूसरे से बेहतर तरीकेसे जुड़ जाएं तो सूरत बदल जाएगी। इसका प्रयास भी चल रहा है।
बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा में डेढ़ हजार किसान पांच हजार एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती कर कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों का कहना है कि वह सिर्फ गो आधारित खेती करते हैं जिसमें गोमूत्र बने पदार्थ शामिल हैं।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि आज हम देश में विदेश से रासायनिक उर्वरक मंगाने पर एक लाख साठ हजार करोड़ रुपये खर्च करते हैं। यह रासायनिक उर्वरक खेतों में पड़ता है तो जहरयुक्त खाद्यान्न पैदा होता है, ऐसा भोजन बीमार बनाता है। दवाओं पर भारी खर्च डालता है। इससे बचने के लिए रासायनिक खेती से मुक्ति पानी होगी और अब जैविक खेती नहीं बल्कि प्राकृतिक खेती अपनानी होगी।