tag manger - लाल पत्ता गोभी की खेती है मुनाफ़े का सौदा, कैंसर तक के लिए लाभकारी – KhalihanNews
Breaking News

लाल पत्ता गोभी की खेती है मुनाफ़े का सौदा, कैंसर तक के लिए लाभकारी

लाल पत्ता गोभी के फ़ायदों की बात करें तो ये कैंसर, कुपोषण और मस्तिष्क रोग जैसी घातक बीमारियों को रोकने में कारगर है। इसमें विटामिन-सी, ए, ई, के, आयरन, कैल्सियम, मैग्नीशियम, मेग्नेसियम, पोटैशियम, और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है।

इसकी खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है। लाल पत्ता गोभी की खेती चिकनी मिट्टी में भी की जा सकती है। भूमि का पी.एच. 6.0 से 7.0 के बीच होता है तो अच्छी पैदावार मिल सकती है। लाल पत्ता गोभी की खेती के लिए हल्की ठंड का समय अच्छा माना जाता है। इसके लिए तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच होना चाहिए। अधिक तापमान में इसके ऊपरी भाग का विकास अच्छे से नहीं हो पाता।

लाल पत्ता गोभी की दो उन्नत किस्में हैं। रेड-रैक किस्म का वजन 50 से 300 ग्राम के आसपास होता है। अन्य किस्म रेड-ड्रम हेड आकार में बड़ी, अन्दर से गहरी लाल और ठोस होती है। इसका कुल वजन 500 ग्राम से 1.5 किग्रा के बीच रहता है।

लाल पत्ता गोभी को कैटरपिलर और एफिड कीट से काफ़ी नुकसान पहुंचता है। इसके नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफास तथा मेटासीड के 1-2 प्रतिशत घोल का छिडक़ाव कर सकते हैं। सड़न रोग और पत्तियों पर धब्बे होने पर बेवस्टीन या डाइथेन, एम- 45 के 2 ग्राम मात्रा का प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव कर सकते हैं।

लाल पत्ता गोभी की पैदावार की बात करें तो 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक मिलती है। हरी पत्ता गोभी की बाज़ार में कीमत 800 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल रहती हैं। वहीं लाल पता गोभी की बाज़ार में कीमत 3000 से 6000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल जाती है। लाल पत्ता गोभी को ज़्यादातर मॉल्स,बड़े स्टोर्स, ऑनलाइन मार्केट और बड़ी सब्जी मंडियों में विक्रय किया जाता है।

बुवाई सितंबर से मध्य नवंबर के बीच या मध्य जनवरी से फरवरी के बीच कर सकते हैं।
खेती से पहले मिट्टी की जुताई 3 से 4 बार करनी चाहिए। मिट्टी के भुरभुरा होने पर पाटा लगाकर नमी बनाए रखें।

खेत में 8 से 10 दिन के अंतराल से जुताई करें ताकि खेत में पहली फसलों के अवशेष, घास-फूस और कीट पूरी तरह से नष्ट हो जाएं।

खेत की जुताई के समय 10-12 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलायें। इसके साथ ही 60 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से दे सकते है।

इसके बाद समान अंतर देकर क्यारियां बनायें। इसके पौधे के बीच 30 से 35 सेंटीमीटर का अंतर होना चाहिए।

रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है। इसके बाद 12 से 15 दिन के अंतराल में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।

इसकी खेती के लिए 400-500 ग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल होता है। इसका पौधा 20 से 25 दिन में तैयार हो जाता है।
पूरी तरह विकसित होने पर ही कटाई करें, क्योंकि पहले कटाई करने पर इसका आकार छोटा और कम रहता है।

About admin

Check Also

जयपुर में एलपीजी टैंकर धमाका, दो बस, एक दर्जन ट्रक, कई कारें जलकर राख,150 लोग झुलसे, 10 किमी तक दहशत

राजस्थान में जयपुर -अजमेर रोड स्थित भांकरोटा के पास आज सुबह करीब 5 बजे एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *