सूबे के अधिकतर सरकारी गेहूँ खरीद केन्द्रों पर सन्नाटा रहा| किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा पर अपना गेहूँ बेचा | सूबे के आधे से अधिक केन्द्रों पर सरकारी कर्मचारी मायूस बैठे रहे| हालांकि सरकार ने किसानो से उनके घर पहुंच कर गेहूँ खरीदने की पेशकश भी की | इसकी बड़ी वजह सरकार का स्टाक- सीमा पर रोक न लगाना भी है|
उत्तर प्रदेश में पहली अप्रैल से एमएसपी पर गेहूं की सरकारी खरीद शुरु की। सरकार ने इस साल गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2015 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया। इस वर्ष प्रदेश में 60 लाख टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया था।
प्रदेश के सभी जिलों के लिए भी गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया गया है। लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं खरीद में आगरा फिसड्डी है। आगरा में इस साल 48000 टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य तय किया गया है। इसके सापेक्ष 30 अप्रैल तक 19.3 टन यानी 0.04 प्रतिशत गेहूं खरीद ही हो सकी थी।
वहीं मथुरा में लक्ष्य के सापेक्ष 0.09 प्रतिशत खरीद हो सकी है। प्रदेश के सिर्फ चार जिले ऐसे हैं जिनमें लक्ष्य के सापेक्ष 10 प्रतिशत से ज्यादा खरीद हुई है। जिलावार लक्ष्य के सापेक्ष 30 अप्रैल तक वाराणसी में 15.05 प्रतिशत, मऊ में 12.82 प्रतिशत, मिर्जापुर में 12.38 प्रतिशत और सोनभद्र में 11.74 प्रतिशत गेहूं खरीदा गया था।
औरैया में लक्ष्य के सापेक्ष 0.05 प्रतिशत गेहूं खरीदा जा सका है। यहां 51000 टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य है जबकि खरीद हुई है 23.75 टन। बदायूं में 0.07 प्रतिशत गेहूं खरीद हुई है। यहां 1,25,000 टन खरीद के लक्ष्य के सापेक्ष 30 अप्रैल तक 83.8 टन गेहूं खरीदा गया था। फिरोजाबाद के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 67000 टन तय किया गया है लेकिन अप्रैल अंत तक यहां सिर्फ 54.2 टन यानी 0.08 प्रतिशत ही खरीद हो पाई है।