प्रदेश में गांवों में रोजगार सृजन की कड़ी में अब तालाबों में मछली पालन करने की जिम्मेदारी जीविका दीदी को सौंपने की तैयारी जा रही है।
‘जीविका दीदी’ ऐसे ही तालाब में मछली पालन करेंगी, जिसमें मत्स्य विभाग का हस्तक्षेप नहीं है। साथ ही वह एक एकड़ से अधिक और पांच एकड़ से कम क्षेत्र में हो। पटना समेत सभी जिलों में ऐसे तालाबों को चिन्हित करने का काम शुरू हो गया है। पटना जिले में एक एकड़ से अधिक क्षेत्र के 111 तालाब चिह्नित किए गए हैं।
सभी 111 तालाबों की सूची को अंचलवार संकलित कर
जीविका-समूह को 5 वर्षों के लिए तालाबों के रखरखाव ,प्रबंधन हेतु तालाब का नि:शुल्क आवंटन किये जाने की योजना है| आवंटित तालाब का नवीनीकरण अगले पांच- पांच वर्षों के लिए जिला समन्वय समिति द्वारा सफल क्रियान्वयन के आधार पर किया जायेगा|
जीविका समुदाय आधारित मत्स्य पालन एवं समेकित मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देगी जिसके कारण ग्रामीण महिलाओं में जीविकोपार्जन के अन्य अवसर प्राप्त होंगे| जीविका के सामुदायिक संस्थाओं द्वारा तालाबों के सतत रखरखाव एवं प्रबंधन द्वारा आमदनी में वृद्धि होगी|
प्रदेश के सभी जिलों में ऐसे तालाबों का चयन करने की योजना है। कई जिलों में चयन की प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई है। पटना जिले में छोटे बड़े तालाबों की संख्या 1028 है। इसमें एक एकड़ से अधिक तालाब की संख्या चार सौ से अधिक है। इनमें ज्यादातर तालाबों में मत्स्य विभाग द्वारा मछली पालन कराया जा रहा है।
गांवों में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए तालाब में मछली पालन की जिम्मेदारी जीविका दीदी को सौंपी जा रही है। जीविका समूह में शामिल सदस्यों का इससे रोजगार सृजन होगा। एक तालाब से लगभग 10 परिवारों के जीविकोपार्जन की उम्मीद की गई है। जीविका समुदाय आधारित मत्स्य पालन एवं समेकित मत्स्य पालन जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देगी। जीविका के सामुदायिक संस्थाओं द्वारा तालाबों के सतत रखरखाव एवं प्रबंधन द्वारा आमदनी में वृद्धि होगी।