पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज किसानों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। सरकार ने धान की सीधी उपजाई करने वाले हर किसान को 1500 रुपए प्रति एकड़ सहायता देने का फैसला किया है।
उन्होंने किसानों से अपील की है कि अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को धान की सीधी उपजाई करने के लिए प्रेरित करें। इससे धान की उपज भी बढ़ेगी और पानी की भी बचत होगी।
धान की बुवाई दो प्रकार से की जा सकती है पहला सीधी बिजाई जिसके तहत किसान धान के बीज को सीधे खेत में छिड़काव करके या सीड ड्रिल से बोते हैं | दूसरा धान की पहले नर्सरी तैयार करते हैं उसके बाद खेत में बुवाई करते हैं | नर्सरी तैयार करके बुवाई करने पर धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है | पंजाब सरकार धान की खेती में कम पानी में करने के लिए धान की सीधी बुआई करने वाले किसानों 1500 रुपए प्रति एकड़ का अनुदान देगी।
अधिकतर क्षेत्रों में धान की रोपाई विधि को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन प्रदेश सहित जिले में गिरते भूजल स्तर को देखते हुए कृषि विभाग किसानों को धान की सीधी बिजाई करने की सलाह दे रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार धान की सीधी बिजाई से न केवल पानी की लागत कम होगी, समय व धन की बचत के साथ उत्पादन भी अधिक होगा।
रोपण विधि से धान की खेती करने में पानी की अधिक आवश्यकता पड़ती है। अनुमान है की 1 किलो धान पैदा करने के लिए लगभग 4000 – 5000 लीटर पानी की खपत होती है। विश्व में उपलब्ध ताजे जल की सर्वाधिक खपत धान की खेती में होती है। पानी की अन्य क्षेत्रों में मांग बढऩे के कारण आने वाले समय में खेती के लिए पानी की उपलब्धता कम होना सुनिश्चित है।
रोपण विधि से धान की खेती करने के लिए समय पर नर्सरी तैयार करना, खेत में पानी की उचित व्यवस्था करके मचाई करना एवं अंत में मजदूरों से रोपाई करने की आवश्यकता होती है। इससे धान की खेती की कुल लागत में बढ़ोतरी हो जाती है। समय पर वर्षा का पानी अथवा नहर का पानी न मिलने से खेतों की मचाई एवं पौध रोपण करने में विलम्ब हो जाता है।
पौध रोपण हेतु लगातार खेत मचाने से मिट्टी की भौतिक दशा बिगड़ जाती है जो कि रबी फसलों की खेती के लिए उपयुक्त नहीं रहती है जिससे इन फसलों की उत्पादकता में कमी हो जाती है। लगातार धान-गेहूं फसल चक्र अपनाने से भूमि की भौतिक दशा खराब होने के साथ-साथ उनकी उर्वरता भी कम हो गई है।