योजना के तहत प्रत्येक न्याय पंचायत में किसानों को 500 मौन बॉक्स दिए जाएंगे| जिसमें केंद्र और राज्य सरकार 80 फीसद की सब्सिडी किसानों को देगी| सरकार का मानना है कि इससे उत्तराखंड में मौन पालन करने के इच्छुक किसानों को अच्छा स्वरोजगार मिलेगा| अभी उत्तराखंड में 6 हजार से अधिक मौन पालक हैं जो शहद का उत्पादन कर रहे हैं|
उत्तराखंड के किसानों की आमदनी में अब शहद की मिठास घुलेगी। मात्र आठ हजार देकर 13 जिलों में 650 किसान मौनपालन से जुड़ेंगे।
मधु ग्राम योजना को धरातल पर उतारने का काम शुरू हो गया है। जिसमें प्रत्येक जिले में न्याय पंचायत स्तर पर एक मधु ग्राम विकसित किया जा रहा है। उद्यान विभाग ने चयनित गांवों में किसानों को मौनबॉक्स और मधुमक्खियां देने के लिए हरियाणा की एक फर्म के साथ अनुबंध किया है।
मधु ग्राम योजना के तहत प्रदेश के नौ पर्वतीय जिलों में चयनित गांवों में मौनपालन के लिए एपिस सिराना इंडिका मधुमक्खी दी जाएगी। जबकि चार मैदानी जिलों में एपिस मैलीफेरा मधुमक्खियां मौन बॉक्स के साथ किसानों को दी जाएगी। एक चयनित मधु ग्राम में 50 किसानों को शहद उत्पादन से जोड़ा जाएगा। प्रत्येक किसान को 10 मौनपालन बॉक्स मधुमक्खी समेत दिए जाएंगे।
एक मौन बॉक्स की कीमत चार हजार रुपये हैं। जबकि केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से 80 प्रतिशत सब्सिडी यानी 3200 रुपये दिए जाएंगे। किसान से प्रति मौनबॉक्स सिर्फ 800 रुपये लिए जाएंगे।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में वर्तमान में 6162 मौनपालक शहद का उत्पादन करते हैं। राज्य में लगभग 2200 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जाता है। प्रदेश में स्वरोजगार के अवसर सृजित करने और शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए मधु ग्राम योजना शुरू की गई। जिसमें प्रत्येक जिले में न्याय पंचायत स्तर पर एक मधु ग्राम विकसित किया जा रहा है।
मधु ग्राम की सूची में–
नैनीताल जिले में ज्योलीकोट, ऊधमसिंह नगर में बिग्रा बाग, अल्मोड़ा में असगोली, बागेश्वर में फरसाली, पिथौरागढ़ में धारचूला, चंपावत में सिप्टी, उत्तरकाशी में नाकुरी, टिहरी में बनाली, पौड़ी में चमराड़ा, चमोली में कल्याणी, रुद्रप्रयाग में ऊंचाढुंगी, हरिद्वार में मकदुमपुर, देहरादून में ग्रामों को मधु ग्राम के रूप में चयनित किया गया है।