रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग जारी है। 24 फरवरी, 2022 इतिहास में एक विध्वंसक निर्णय के लिए जाना जाएगा। इसी दिन भारतीय समयानुसार सुबह 8.30 बजे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई का ऐलान किया था। इसके बाद रूस की सेना ने यूक्रेन पर हवाई हमले शुरू कर दिए। इन हमलों बाद यूक्रेन की राजधानी कीव के अलावा खार्किव, मारियुपोल और ओडेसा में बर्बादी के मंजर दिखाई देने लगे हैं।
जैसे-जैसे सर्दी कम होती है, यूक्रेन के किसान अपने खेतों में गेहूं, सूरजमुखी और अन्य प्रकार के अनाज के बीज बोते हैं और पोल्ट्री फार्मों की ओर रुख करते हैं। यह पैदावर पैदावार दुनिया भर में भेजी जाती है। लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो सका।
खेतों और पशुओं को छोड़ दिया गया है। लाखों हेक्टेयर खेत सूने पड़े हैं। दुनिया इस युद्ध को एक मानवीय संकट के तौर पर देख रही है। गेहूं, मक्का, सूरजमुखी तेल, सोयाबीन और जौ के साथ-साथ मुर्गी और अंडे आदि वैश्विक खाद्य आपूर्ति का बड़ा हिस्सा यूक्रेन से आता है, जो वैश्विक खाद्य बाजार का 15% हिस्सा है। भारत, चीन, मिस्र, तुर्की, पोलैंड और जर्मनी सबसे बड़े आयातकों में से हैं। इस सीजन में, यूक्रेन की खाद्य आपूर्ति का इंजन ठप हो गया है।
अर्थशास्त्री और कृषि विशेषज्ञ एंड्री यार्मक आशंका जताते हैं कि रूसी आक्रमण के परिणामस्वरूप दुनिया भर में कुपोषण के कारण कई मौतें हो सकती हैं। उनका अनुमान है कि यूक्रेन कई महीनों तक कुछ भी निर्यात नहीं कर पाएगा और कहता है कि युद्ध पूर्व उत्पादन स्तर तक पहुंचने में सालों लगेंगे।
यहां की जमीन काफी उपजाऊ है जिसके चलते यूक्रेन दुनिया के सबसे बड़े अनाज सप्लायर्स में शामिल है| यूक्रेन नैचरल गैस और पेट्रोलियम का उत्पादन और प्रोसेसिंग खुद करता है मगर अपनी ज्यादातर ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है। यूक्रेन की 80% नैचरल गैस सप्लाई का आयात होता है, जिसमें रूस का बड़ा हिस्सा है।