देश को एक सूत्र में पिरोने की कड़ी में एक भारत -एक यूरिया योजना के तहत यूरिया ,एनपीके और डीएपी उर्वरकों की कालाबाज़ारी को रोकने एवं बिक्री में पारदर्शिता लाने के लिए आगामी 1 अप्रैल से अब उर्वरकों के पैकेट पर किसी भी कम्पनी का नाम नहीं होगा , बल्कि बार कोड लगाया जाएगा, जिसे क्रेता द्वारा अपने मोबाईल से स्कैन करने पर संबंधित उर्वरक के बारे में आवश्यक जानकारी मिल जाएगी।
उर्वरक से जुड़े सूत्रों के अनुसार यूरिया ,एनपीके और डीएपी का निर्माण एवं विक्रय मुख्यतः इफ्को,कृभको, चंबल , एनएसीएल आदि कंपनियों द्वारा किया जाता है और इसे कम्पनी के नाम से बेचा जाता है|
आगामी नए वित्त वर्ष में 1 अप्रैल से प्रस्तावित एक भारत -एक यूरिया योजना के तहत अब उर्वरकों के पैकेट पर किसी भी कम्पनी का नाम नहीं होगा , बल्कि बार कोड लगाया जाएगा, जिसे क्रेता द्वारा अपने मोबाईल से स्कैन करने पर उसे संबंधित उर्वरक के बारे में जरुरी जानकारी जैसे कम्पनी का नाम,दर और पैकिंग की तारीख आदि मिल जाएगी। इस नए नियम से यूरिया की किल्लत को कम करने की कोशिश की जाएगी और कालाबाज़ारी पर भी नियंत्रण होगा।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की इस प्रस्तावित योजना में जिस क्षेत्र में किसी कम्पनी का उर्वरक का कारखाना है, तो उस क्षेत्र में उसी कम्पनी का उर्वरक बेचा जाएगा। यूरिया की अंतरप्रांतीय आपूर्ति पर रोक लगाई जाएगी , ताकि कालाबाज़ारी न हो। उर्वरकों की बिक्री में पारदर्शिता होने से किसानों की मांग बढ़ने पर होने वाली किल्लत से भी राहत मिलेगी।
उम्मीद की जा रही है इस योजना से किसानों को भरपूर खाद मिलेगी खाद की कालाबाजारी बंद होगी| यह भी कहां जा रहा है कि जिन राज्यों में खाद का संकट कहा जाता है वहां भरपूर खान मुहैया कराई जाएगी|