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गर्मियों में पशुचारा संकट को लोबिया की फसल बोकर दूर करना संभव

लगातार गरमी बढने से पशु ही नहीं पशुपालक भी बेचैन हैं| आने वाले कुछ दिनों में पशुपालकों को हरे चारे के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी| इसलिए किसान समय रहते ही हरे चारे की व्यवस्था शुरू कर दें| जिससे आने वाले समय में पशु को पर्याप्त चारा मिल सके| हरे चारे की कमी से दुग्ध उत्पादन क्षमता पर असर पड़ता है और कमाई भी घटती है| ऐसे में यह किसानों के लिए काफी जरूरी काम है|

हरे चारे की कमी को दूर करने के लिए किसान कई बार कटाई वाली फसल लगा सकते हैं. इसके लिए लोबिया एक बेहतर विकल्प है| लोबिया की फसल लगाने से किसान हरे चारे की कमी से छुटकारा पा सकते हैं| लोबिया एक तेजी से बढ़ने वाली दलहनी चारा फसल है| यह अधिक पौष्टिक और पाचक है| इससे पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होती है|

लोबिया के साथ सबसे अच्छी बात है कि यह खेत की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ाता है, जिससे किसान अगली फसल में लाभ ले सकते हैं| लोबिया साथ के खर-पतवार को नष्ट करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है| लोबिया को किसान खरीफ और जायद मौसम में उगा सकते हैं|

लोबिया की खेती करने के लिए किसानों को अच्छी जलनिकासी वाली खेत का चुनाव करना होगा| सबसे खास बात है कि इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है| इससे किसानों को खेत का चयन करने के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी| अगर किसान के पास दोमट मिट्टी वाले खेत हैं तो यह पैदावार की दृष्टि से सबसे अच्छी है|

खेत को तैयार करने के लिए अच्छे से जुताई जरूरी है| ऐसा करने से अंकुरण अच्छा होता है| किसान अगर लोबिया की खेती करना चाहते हैं तो यह समय उनके लिए काफी अच्छा है| वे मार्च के अंत तक लोबिया लगा सकते हैं|

लोबिया की उन्नत किस्में
किसानों को सलाह दी जाती है कि पर्याप्त चारा के लिए लोबिया की उन्नत किस्मों का ही चुनाव करें|

उत्तर भारत में खेती करने के लिए लोबिया की प्रचलित उन्नत किस्म कोहिनूर है. वहीं महाराष्ट्र के लिए श्वेता, बुंदेल लोबिया-2 और बुंदेल लोबिया-3 की खेती पूरे भारत में खेती कर सकते हैं|

वहीं तमिलनाडु के लिए एफसी-8, उत्तर पश्चिम, उत्तर पूर्व, पहाड़ी राज्यों के लिए यूपीसी-607, 618 और 622 किस्में सबसे अच्छी हैं. वहीं उत्तर भारत, पश्चिम और मध्य भारत के लिए आईएफसी-8503 और मध्य भारत के लिए बेहतर है|
एक हेक्टेयर में लगाने के लिए 40 किलो ग्राम पर्याप्त है| अगर आप ज्वार और मक्का के साथ लोबिया लगाना चाहते हैं तो 20 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है| अगर सिंचाई की बात करें तो पापमान बढ़ने के साथ 8-10 दिन में सिंचाई करनी चाहिए|

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