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उत्तर प्रदेश : भिण्डी की ‘काशी चमन’ किस्म में रोग नहीं, भरपूर मुनाफा

बसंत, गर्मी और बरसात में भिंडी की ये रोगरोधी किस्म बंपर पैदावार देती है, इसलिये उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा के किसानों के बीच काशी चमन काफी लोकप्रिय होती जा रही है|

भिंडी कोई साधारण सब्जी नहीं है| इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर में बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच तैयार करते हैं| वहीं इसमें मौजूद पॉलीफेनोल्स को दिल और दिमाग के लिये फायदेमंद बताया जाता है| भिंडी के ये सभी गुण किसी साधारण किस्म से मिलना मुश्किल हो जाता है, इसलिये किसानों को बंपर पैदावार वाली भिंडी की काशी चमन किस्म से खेती करने की सलाह दी जाती है|

उत्तर प्रदेश में वाराणसी स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ( शाक-भाजी)ने भिण्डी की रोग-रहित किस्म विकसित की गई थी| इस किस्म की खासियत ये है कि गर्मी से लेकर बरसात में भी ये बंपर पैदावार देती है|

भिंडी की ये किस्म पीला मोजेक और पत्ती लपेटक इल्लियों जैसे खतरनाक कीट-रोगों के प्रकोप से मुक्त मजबूत खड़ी रहती है| रोगरोधी होने के कारण काशी चमन भिंडी में नुकसान की संभावना कम ही रहती है|

साधारण भिंडी की प्रजातियों के मुकाबले काशी चमन भिंडी 21.66% अधिक उत्पादन देती है| ये किस्म उगाकर अब तक 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जा चुका है|

इतनी खूबियों के बावजूद उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा के किसानों के बीच काशी चमन भिंडी काफी लोकप्रिय होती जा रही है|

इस स्वदेशी विकसित भिंडी के पौधे 120-125 सेमी यानी मध्यम लम्बाई वाले होते हैं, जिनके बीजों को लगाने के बाद 39 से 41 दिनों में फूल आने लगते हैं|

काशी चमन भिंडी गहरे हरे रंग की होती है, जिसके फलों की लंबाई 11 -14 सेमी तक होती है|

खेतों में 45-50 दिनों के बीच काशी चमन भिंडी की फलत होने लगती है, जिससे अगले 100 दिनों तक पैदावार ले सकते हैं|

एक हेक्टेयर खेत से काशी चमन भिंडी से बसंत, गर्मी और बरसात दोनों मौसम में 150-160 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं|

काशी चमन भिंडी एक उन्नतशील किस्म है, जिसकी खेती वैज्ञानिक विधि के अनुसार ही करना चाहिये| इस दौरान बीज के मानकों के आधार पर ही खेतों में खाद-उर्वरक का प्रयोग करते हैं|

गर्मी में काशी चमन भिंडी की फसल लगाने के लिये प्रति हेक्टेयर 12-14 किग्रा बीज और बरसात के मौसम में 8-10 किग्रा प्रति हेक्टेयर बीजदर काफी रहती है|

बुवाई करने से पहल से पहले बीजों का उपचार करें और बीजों को लाइनों में बोयें| बसंत या गर्मी में बीजों को 45 सेमी × 20 सेमी की दूरी पर लगायें|

बरसात में खेतों में जल निकासी करके 60 सेमी ×30 सेमी की दूरी पर (मेड या बेड बनाकर) भिंडी के बीजों की बिजाई करनी चाहिये|

बता दें कि काशी चमन भिंडी में संतुलित उर्वरकों का ही इस्तेमाल करके ही अच्छी पैदावार मिल जाती है, इसलिये प्रति हेक्टेयर फसल में 100 किग्रा नाइट्रोजन, 50 किग्रा फास्फोरस और 50 किग्रा पोटैशियम के साथ गोबर की सड़ी खाद या वर्मी कंपोस्ट का भी इस्तेमाल कर सकते हैं|

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