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MSP: संसदीय समिति की सिफारिश, जैविक उत्पादों के लिए एमएसपी जरूरी

MSP: संसदीय समिति की सिफारिश, जैविक उत्पादों के लिए एमएसपी जरूरी

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और जालंधर से सांसद, चरणजीत सिंह चन्नी की अध्यक्षता वाली कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर संसदीय स्थायी समिति ने एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में विशेष रूप से जैविक उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश की गई है, ताकि टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिले और जैविक किसानों को उचित मुआवजा मिले।

अपनी रिपोर्ट में समिति ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को दी गई पिछली सिफारिशों को लागू नहीं किया गया है। इनमें एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और किसानों के लिए ऋण माफी शामिल हैं। समिति ने सरकार से आग्रह किया है कि किसानों के लिए दीर्घकालिक राहत और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए इन सिफारिशों को शीघ्र लागू किया जाए।

जैविक खेती के महत्व को समझते हुए समिति ने इसके विकास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश की है। यह कदम किसानों को जैविक उत्पादों की खेती की ओर प्रेरित करेगा, जिससे देश में कृषि की सस्टेनेबल और पर्यावरण मित्र प्रणाली का विकास होगा। जैविक उत्पादों के लिए एमएसपी सुनिश्चित करने से किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा और वे पारंपरिक खेती के मुकाबले जैविक खेती को प्राथमिकता दे सकेंगे।

समिति ने छोटे जोत वाले किसानों के लिए मुफ्त और अनिवार्य सार्वभौमिक फसल बीमा योजना की सिफारिश की है। इससे किसानों को वित्तीय नुकसान से बचने में मदद मिलेगी, साथ ही यह कदम ग्रामीण संकट को कम करने और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक साबित होगा।

समिति ने यह सुझाव दिया कि फसल अवशेषों के लिए एक बाजार तंत्र विकसित किया जाए, जिससे किसानों को अतिरिक्त लागतों की भरपाई हो सके।

पराली जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को कम करने के लिए समिति ने एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। इसके अंतर्गत किसानों को फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए प्रति क्विंटल धान पर 100 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है। इस प्रकार की मदद से किसानों को पराली जलाने से होने वाली समस्या का समाधान मिलेगा और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को भी कम किया जा सकेगा।

समिति ने सरकार को याद दिलाया कि उसने पहले भी किसानों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी और कर्ज माफी की सिफारिश की थी, लेकिन अब तक इन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। समिति ने सरकार से जल्द से जल्द इन मुद्दों पर कार्रवाई करने की मांग की, ताकि किसानों को राहत मिल सके और कृषि क्षेत्र में स्थिरता आए।

छोटे किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समिति ने मुफ्त और अनिवार्य फसल बीमा योजना लागू करने की सिफारिश की है। इससे किसानों को मौसम और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा, जिससे ग्रामीण इलाकों में संकट कम होगा और खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।

खेतों में काम करने वाले मजदूरों की अहमियत को स्वीकारते हुए समिति ने सरकार से “कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय” का नाम बदलकर “कृषि, किसान और खेतिहर मजदूर कल्याण मंत्रालय” करने की सिफारिश की है।

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