अब प्याज उत्पादक संघ के बैनर तले किसानों ने प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य के अंदर लाने की मांग रखी है| जिसके तहत संघ ने 30 रुपये प्रतिकिलो प्याज का न्यूनतम भाव निर्धारित करने की भी मांग की है| किसानों का कहना है कि प्याज की खेती में लागत अधिक है| ऐसे में 30 रुपये प्रतिकिलो भाव होने से उनकी लागत के साथ ही थोड़ा मुनाफा भी निकल जाएगा|
नेफेड देश की एक बहुराष्ट्रीय सहकारी समिति है| केंद्र सरकार इस संगठन के माध्यम से किसानों के विभिन्न कृषि उत्पादों को खरीदती है| वर्तमान में नेफेड महाराष्ट्र के 2 विभिन्न बाजारों से प्याज की खरीदी भी कर रहा है| लेकिन नेफेड की इस खरीददारी से किसान बहुत परेशान हैं| कारण यह है कि प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट जारी है|
ऐसे में किसानों को बढ़िया भाव ही नहीं मिल रहा है| जिसके समाधान को लेकर अब प्याज किसान संगठित भी होने लगे हैं| जिसके तहत इन किसानों ने प्याज उत्पादक संघ के बैनर तले प्याज को एक गांरटी दाम दिलाने की मांग रखी है| जिसके तहत संघ ने अब प्याज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने की मांग की है|
महाराष्ट्र में इस समय किसान बहुत कम रेट पर प्याज बेचने को भी मजबूर हैं| औरंगाबाद में किसान 200 रुपये प्रति क्विंटल की कम कीमत पर प्याज बेचने को मजबूर हैं| इसके अलावा सबसे बुरा हाल तो महाराष्ट्र की राहता मार्केट का है, वहा पर किसानों ने सिर्फ डेढ़ रुपए प्रति किलो के दाम पर भी बेची है| अहमदनगर जिले की इस मंडी में न्यूनतम दाम सिर्फ डेढ़ सौ रुपए है. जबकि और औसत दाम भी 400 क्विंटल रहा है|
दूसरी ओर प्याज उत्पादक संघ ने नेफेड पर एक बड़ा गंभीर आरोप लगाया है. प्याज उत्पादक संघ ने आरोप लगाया है कि नेफेड किसानों से अलग – अलग रेट पर प्याज खरीद रहा है| प्याज उत्पादक संघ के मुताबिक नेफेड नासिक बाजार समिति से 12 रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज खरीद रहा है. तो वहीं दूसरी और अहमदनगर में 10 रुपये प्रति किलो पर भी प्याज की खरीददारी की जा रही है|
प्याज उत्पादक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत दिघोले ने अब सवाल उठाया है कि एक ही राज्य से प्याज खरीद की कीमतों में इतना अंतर क्यों है| उन्होंने कहा कि किसानों को इस समय वैसे भी प्याज के दाम लगभग न के बराबर मिल रहे हैं| किसान इस समय अपनी लागत तक भी नही निकाल पा रहे है|