नीलगिरि चुनाव आयोग के अधिकारियों ने सोमवार को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की तलाशी ली है। पुलिस का कहना है कि हेलीकॉप्टर के यहां उतरने के बाद उडऩदस्ते के अधिकारियों ने तलाशी ली। उनमें चुनाव आयोग के अधिकारियों को हेलीकॉप्टर के चप्पे-चप्पे की जांच की। तलाशी लिए जाने के समय राहुल गांधी वहां से दूर हट गए। अधिकारियों ने जब पूरे हेलीकॉप्टर की तलाशी ले ली तो उन्हें जाने दे दिया।
राहुल अपने संसदीय क्षेत्र केरल के वायानाड जा रहे थे जहां से सार्वजनिक रैली सहित कई चुनावी अभियानों में उन्हें हिस्सा लेना था।
तमिलनाडु के सीमावर्ती क्षेत्र निलगिरि जिले में राहुल गांधी ने कला एवं विज्ञान कॉलेज के छात्रों से मुलाकात की। इसके बाद में सडक़ मार्ग से केरल के सुल्तान बाथेरी पहुंचे। यहां राहुल ने खुली छत वाली कार में बैठकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया। सैकड़ों लोग उनके रोड शो में शामिल हुए। रोड शो के दौरान राहुल ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी लड़ाई मुख्य रूप से आरएसएस की विचारधारा से है।
गौरतलब है कि राहुल अपने संसदीय क्षेत्र केरल के वायानाड जा रहे थे जहां से सार्वजनिक रैली सहित कई चुनावी अभियानों में उन्हें हिस्सा लेना था। गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव से पहले 1 मार्च से 13 अप्रैल तक चेकिंग के दौरान देश भर में 4658.13 करोड़ रुपए जब्त किए हैं। इनमें कैश, सोना-चांदी, शराब, ड्रग्स और कीमती सामान शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के 75 साल के इतिहास में ये अब तक की सबसे बड़ी जब्ती है। आयोग ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 3475 करोड़ रुपए सीज किए थे।
आयोग के मुताबिक, 1 मार्च के बाद से जब्त किए गए सामान में 2068.85 करोड़ के ड्रग्स, 1142.49 करोड़ के मुफ्त में बांटे जाने वाले सामान, 562.10 करोड़ की कीमती धातुएं, 489.31 करोड़ की शराब और 395.39 करोड़ कैश शामिल है। कैश सहित सभी सामानों को मिलाकर हर दिन करीब 100 करोड़ रुपए सीज किए जा रहे हैं।
@८बीते 28 साल में पहली बार चुनावी मैदान में अकेली तलवार लेकर उतरा शिरोमणि अकाली दल , लोकसभा चुनाव 2024 पंजाब में 2019 से काफी अलग होने वाला है। इस बार मुकाबला दो नहीं बल्कि चार कोण वाला होगा क्योंकि बीजेपी अकेली लड़ रही है और आप भी मैदान में है।
1998 से 2009 के लोकसभा चुनावों के बीच, पंजाब में दो दलों के बीच मुख्य लड़ाई थी जहां कांग्रेस, भाजपा और अकाली दल से मुकाबले में थी। 2009 के चुनावों में कांग्रेस और भाजपा-शिअद का संयुक्त वोट शेयर 89% के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। दो दलों के बीच की इस लड़ाई में AAP ने 2014 के लोकसभा चुनावों में एंट्री ली। जहां 2019 के लोकसभा चुनावों में आप की किस्मत डूब गई, वहीं 2022 के विधानसभा उसने भारी जीत हासिल की। एक तरफ जहां बीजेपी और शिरोमणि अकाली दल अलग हो गए हैं, वहीं कांग्रेस और आप दिल्ली और हरियाणा में गठबंधन बनाने में कामयाब रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर पंजाब में दोनों एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं। इसका मतलब है कि पंजाब में 2024 में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा। 1996 के बाद यह पहली बार होगा कि एनडीए के सबसे पुराने घटकों में से एक बीजेपी और SAD राज्य में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।
भाजपा नेता सभी 13 सीटें जीतने का दावा करते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि पार्टी का वोट शेयर 10 प्रतिशत से भी कम है। पंजाब के गांवों में जनाधार बढ़ाना और गैर सिख मतदाताओं को लुभाना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
अकाली दल के वोट शेयर में गिरावट आयी बताते हैं वर्ष
2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों और 2022 के विधानसभा चुनाव परिणामों की तुलना से पता चलता है कि AAP और कांग्रेस ने SAD के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा दी है। 2019 के लोकसभा में अकाली दल का वोट शेयर 27.8 प्रतिशत था, जो 2022 के विधानसभा चुनाव में घटकर 18.38 प्रतिशत हो गया। दिलचस्प बात यह है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा का वोट शेयर स्थिर रहा। 2022 में यह 9.7 प्रतिशत था जब भाजपा और शिअद सहयोगी नहीं थे।
पंजाब में सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि दलबदल के कारण 2024 में और बदलाव आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, मालवा में 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद कांग्रेस से आप और भाजपा दोनों में दलबदल देखा गया है। इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह जो मालवा क्षेत्र से हैं, ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद अपनी पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया। अगर यह मान भी लिया जाये कि इससे मालवा में कांग्रेस को नुकसान होगा, फिर भी यह बताना मुश्किल है कि 2024 में इस दलबदल से भाजपा और AAP में से किसे अधिक फायदा हो सकता है।