भारत में गेहूं पैदा करने वाले प्रमुख सूबा है- पंजाब। इन दिनों न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की सरकारी खरीद जारी है। हालांकि, सरकार के अलावा बड़े आटा कारोबारी, बिस्कुट कंपनियां, मैदा मिलों और बड़े निर्यातक भी पेशगी देकर किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं। इधर
सरकार ने गेहूं को इकट्ठा रखने के लिए हरियाणा और पंजाब में सालों बनाने वाली कंपनियों को भी गेहूं खरीद की छूट दी है। अब पंजाब में किसानों के विरोध का मुद्दा, यही सालों हैं।
गेहूं खरीद के लिए राज्य सरकार ने सरकारी संस्थाओं के आलावा निजी साइलो (निजी भंडारण केंद्र) को भी जिम्मेदारी दी है। इसके अलावा कई कॉरपोरेट घरानों को भी गेहूं खरीद के लिए परमिट दिया गया है, जिसका किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसान यूनियन बीकेयू (एकता उगरहां) ने पंजाब सरकार से राज्य के सभी निजी साइलो को अपने कब्जे में लेने का अनुरोध किया है। साथ ही मांग की है कि गेहूं खरीद के लिए कॉरपोरेट घरानों को दी गई परमिट को रद्द किया जा जाए। किसान यूनियन बीकेयू (एकता उगरहां) ने यह भी कहा कि किसान अपनी इन मांगों को आगे बढ़ाने के लिए 11 अप्रैल को साइलो (निजी भंडारण केंद्र) पर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे।
किसान यूनियन चाहती है कि सभी साइलो पर सरकार नियंत्रण होना चाहिए। किसानों ने यह भी कहा कि भले ही सरकार यह दावा करती है कि सरकार ने रबी सीजन के लिए खरीद केंद्रों के रूप में 12 साइलो की अधिसूचना वापस ले ली थी, पर कॉरपोरेट घरानों को गेहूं खरीद की जिम्मेंदारी सौंपकर सरकार के इरादे सामने आ गए हैं कि सरकार किस तरह से सार्वजनिक वितरण प्रणाली को धवस्त करना चाहती है। सभी किसान इसका विरोघ करते हैं। किसान यूनियन के नेताओं ने कहा कि सभी किसान इसका विरोध करने के लिए तैयार हो जाएं।
गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने पिछले वर्ष की तरह इस साल भी पंजाब के नौ जिलों में 11 निजी साइलो को गेहूं खरीद, भंडारण और प्रसंस्करण के लिए घोषित किया है। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा था कि वो राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करेगा। मोर्चा का कहना है कि राज्य सरकार का यह कदम किसान विरोधी है। इस कदम से सरकार सरकारी मंडियों को कॉरपोरेट घरानों को सौंपने का है. संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी कहा कि बड़े घरानों के लाभ के लिए साइलो क्षेत्रों में आने वाली 26 कृषि उपज बाजार समितियों को भंग करने के पंजाब सरकार के फैसले के खिलाफ आठ अप्रैल को चंडीगढ़ में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा की राष्ट्रीय समन्वय समिति (एनसीसी) के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पंजाब मंडी बोर्ड के मुताबिक पिछले साल भी सरकार ने साईलोज को गेहूं का खरीद केंद्र घोषित किया था। सरकार के कदम का विरोध करते हुए बीकेयू (उगराहां) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा था कि इससे पंजाब मंडी बोर्ड के 26 एपीएमसी प्रभावित हो रहे हैं, उनका काम इन निजी साइलो में स्थानांतरित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कारण से 2020 में कृषि कानूनों पर आपत्ति जताई. अब पंजाब सरकार भी वही कर रही है. हम इस कदम का विरोध करेंगे।