राजस्थान में सवाई माधोपुर की पहचान यहां के रणथंभौर राष्ट्रीय अभयारण्य से है। अब यहां के अमरूद सूबे की सीमा पार कर लोगों को लुभाने लगे हैं। राजस्थान में तो यहां के अमरूद सभी जिलों तक पहुंचते ही हैं ।
उद्यान विभाग के अनुसार इस बार सवाई माधोपुर जिले में 2525 हेक्टेयर अमरूद की बागवानी का लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2019 में 1800 हेक्टेयर, 2020 में 1500 हेक्टेयर, 2021 में 1150 हेक्टेयर और 2022 के बाद अब तक करीब 1500 हेक्टेयर में बगीचे लगाए जा चुके हैं। जिले में इस समय 15 हजार किसान परिवार अमरूद की बागवानी कर रहे हैं।
अमरूद की बागवानी की शुरुआत में अमरूद के पौधे उत्तर प्रदेश की नर्सरी से खरीदे गए थे। मौजूदा समय में सवाई माधोपुर की नर्सरी में अमरूद की पौध तैयार की जा रही है। बर्फ खान गोला, लखनऊ 49, इलाहाबादी, सफेद अमरूद के पौधे यहां तैयार किए जाते हैं।
वर्तमान में सवाई माधोपुर में 100 से अधिक नर्सरी हैं। इनमें ग्राफ्टिंग से अमरूद के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। एक नर्सरी की लागत तीन से पांच लाख तक होती है। यहां एक नर्सरी में दस से पंद्रह हजार ततक अमरूद की अलग-अलग किस्मों की पौधे तैयार की जाती हैं।
भारत में दुनिया में सबसे ज्यादा अमरूद पैदा होता हैं। देश का 60 प्रतिशत अमरूद सिर्फ राजस्थान में ही उगाया जाता है। इसमें 65 फीसदी सवाई माधोपुर जिले के हैं। अनुमान है कि देश का 50 प्रतिशत अमरूद का उत्पादन अकेले सवाई माधोपुर जिले में हो रहा है। वर्तमान में अमरूद की 65 प्रतिशत सवाई माधोपुर में, 8 प्रतिशत कोटा में, 6 प्रतिशत दौसा में, 6 प्रतिशत बूंदी में, 10 प्रतिशत टोंक में और 5 प्रतिशत करौली में होती है।
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