उद्यान निदेशालय ढाई लाख वर्गमीटर ऊंची जमीन में सजावटी फूल- जरबेरा, ग्लोडियस, गुलाब, खीरा, शिमला मिर्च, ऑफ सीजन की महंगी सब्जियां, औषधि की खेती करा कर किसानों की उन्नति की नींव रख रहा है| पॉली हाउस और शेड नेट हाउस के माध्यम से होने वाली इस खेती के लिए संरक्षित खेती के द्वारा बागवानी विकास योजना के लिए करीब आठ सौ किसानों ने रुचि दिखायी है|अरसे यह योजना कई कारणों से फाईल में अटकी थी |
बदलते मौसम में खेती करना किसानों के लिए जोखिम भरा काम हो गया है| प्राकृतिक आपदाओं एवं कीट रोगों के चलते फसल का नुकसान उठाना पड़ता है| सरकार इस जोखिम को कम करने के लिए किसानों को पॉली हाउस व शेड नेट हाउस पर लागत का 75 फीसदी अनुदान मुहैया करा रही है| इसमें राज्य सरकार का 25 फीसदी अनुदान भी शामिल है|
उद्यान निदेशालय के सूत्रों के अनुसार पॉली हाउस के लिए कुल लक्ष्य दो लाख वर्गमीटर और शेड नेट का कुल लक्ष्य 50 हजार वर्गमीटर तय किया गया है| योजना की लागत 935 रुपये प्रति वर्ग मीटर अनुमानित है. इसमें 75 फीसदी अनुदान मिलेगा| योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास न्यूनतम जमीन एक हजार वर्गमीटर होनी चाहिए| कोई किसान या समूह अधिकतम चार हजार वर्गमीटर तक के लिए लाभ ले सकता है|
पॉली हाउस और शेड नेट हाउस के माध्यम से होने वाली इस खेती के लिए बागवानी विकास योजना के लिए 779 किसानों ने रुचि दिखायी है| योजना का लाभ लेने के लिए सभी जिलों के किसानों व्यक्तिगत अथवा समूह में ऑनलाइन आवेदन लिये जा रहे हैं|
पॉली हाउस खेत पर ही एक ढांचानुमा रचना होती है, जो तापमान को नियंत्रित कर उगायी जाने वाली फसल के अनुकूल माहौल बना देती है| इसके लिए खेत की जमीन पर जगह-जगह कंक्रीट की नींव पर एक स्टील के फ्रेम का ढांचा खड़ा किया जाता है| इसे पॉलीशीट से कवर कर उस पर एक हवादार नेट अलग से लगाया जाता है| इसमें से टपक सिंचाई होती है| विशेषज्ञों की राय पर मूल्यवान तीन फसल उगायी जाती है|