ईरान की स्टीविया की फसल को अब बुंदेलखंड के किसान अपने खेतों में उगाएंगे। स्टीविया में ग्वारपाठा (एलोवेरा) और तुलसी का अर्क मिलाकर ‘टी बैग’ तैयार होगा, जो डायबिटीज रोधी दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए मऊरानीपुर और बंगरा ब्लाक का चयन किया गया है। जहां किसानों का समूह बनाकर इसकी पैदावार की जाएगी। इससे किसानों की आय दोगुनी होगी, साथ ही क्षेत्र को नई पहचान भी मिलेगी।
जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र ने बंगरा और मऊरानीपुर ब्लाक के किसानों की आय बढ़ाने के लिए योजना बनाई है। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए ईरान में पैदा होने वाला पौधा ‘स्टीविया’ का बुंदेलखंड में व्यावसायिक तौर पर उत्पादन किया जाएगा।
बंगरा और मऊरानीपुर ब्लाक की जलवायु काफी कुछ स्टीविया पौधा के अनुकूल पाई गई है। इसलिए उद्योग केंद्र ने भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार की क्लस्टर योजना के अंतर्गत किसानों के समूह बनाने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत सौ से दो सौ किसानों के समूह बनाए जाएंगे, जो स्टीविया की खेती करेंगे।
स्टीविया के अलावा किसान एलोवेरा और तुलसी की खेती करेंगे। प्रोसेसिंग प्लांट लगाकर एलोवेरा, तुलसी और स्टीविया का अर्क निकालकर इसकी पैकिंग ‘टी बैग’ के आकार में होगी। यह पैकिंग मार्केट में बिकेगी।
ईरान में उगने वाले स्टीविया पौधे का फल डायबिटीज के रोगियों को लाभकारी है। एक बार फसल तैयार होने पर यह पौधा पांच साल तक फल देता है। यह 1,600 रुपये से लेकर 2,000 रुपये प्रति किलो की दर से बिकता है। इसका स्वाद मीठा होता है, लेकिन नियमित सेवन से यह पैंक्रियाज का सक्रिय कर देता है जो इंसुलिन बनाने में शरीर की मदद करता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुंदेलखंड, पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल और अवध क्षेत्र को मेगा फूड प्लेस बनाने के लिए चयनित किया है। इसमें कम पानी में पैदा होने वाली फसलों और वनस्पतियों का कैसे उपयोग किया जाएगा, इसको लेकर योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इसी के अंतर्गत क्लस्टर डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत मेगा फूड प्लेस तैयार होंगे। इसी क्रम में बंगरा और मऊरानीपुर का चयन किया गया है।