भारत 2025 में अन्न उत्पादन के नए शिखर को छूने के लिए तैयार है। अनुकूल मानसून के चलते खरीफ फसलों का रिकॉर्ड उत्पादन अनुमानित है, लेकिन दालों और तिलहन में आत्मनिर्भरता की चुनौती अब भी बनी हुई है। कृषि मंत्रालय के प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, 2024-25 में खरीफ फसलों का उत्पादन 164.7 मिलियन टन तक पहुंच सकता है।
मिली जानकारी अनुसार रबी फसलों की बुआई भी तेजी से हो रही है, जिसमें 29.31 मिलियन हेक्टेयर पर गेहूं और कुल 55.88 मिलियन हेक्टेयर में रबी फसलें बुआई गई हैं। कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कहा, “सामान्य वर्षा के कारण खरीफ फसल अच्छी रही। हालांकि, फरवरी-मार्च में संभावित गर्मी की लहरें रबी फसलों, खासकर गेहूं की पैदावार को प्रभावित कर सकती हैं।
वर्ष 2024-25 में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.5-4% तक पहुंचने की उम्मीद है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के 1.4% से काफी बेहतर है। कृषि अर्थशास्त्री एस. महेंद्र देव के अनुसार, “अच्छे मानसून और ग्रामीण मांग में वृद्धि ने सुधार में मदद की है।” हालांकि, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में बाढ़ और सूखे की वजह से फसलें प्रभावित हुई हैं।
दाल और तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार 2025 में ‘राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन-तिलहन’ लॉन्च करेगी। इसके लिए 10,103 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। फलों और सब्जियों का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है, जिसका श्रेय उन्नत कृषि तकनीकों और सरकारी योजनाओं को जाता है। ड्रोन और एआई आधारित तकनीक किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही हैं।
दूसरी ओर सरकार का दावा है कि पंजाब और हरियाणा में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। संसदीय समिति ने प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली राशि को बढ़ाकर 12,000 रुपये करने और छोटे किसानों के लिए सार्वभौमिक फसल बीमा लागू करने की सिफारिश की है।
सरकार की फसल बीमा योजना को बेहतर बनाने के लिए वैश्विक मानकों के साथ तुलना की जाएगी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि कई योजनाओं में सुधार की आवश्यकता है।